अयोध्या या अवध, किस नाम से मिलता है श्री राम की नगरी का उल्लेख?

Edited By Jyoti,Updated: 08 Nov, 2019 12:59 PM

ayodhya or awadh by which name is the mention of the city of shri ram

अयोध्या, जब भी इस शहर का नाम सुनाई देता है तो सबके मन में एक ही प्रश्न आता है कि आखिर इतने समय में चल रहे विवाद का अंतिम फैसला क्या होगा। क्या अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा।

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अयोध्या, जब भी इस शहर का नाम सुनाई देता है तो सबके मन में एक ही प्रश्न आता है कि आखिर इतने समय में चल रहे विवाद का अंतिम फैसला क्या होगा। क्या अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा। इस नगरी का धार्मिक महत्व होने के कारण व खासतौर पर अयोध्या का श्री राम की जन्म स्थली होना हिंदू धर्म के लोगों को इससे जोड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट अयोध्या पर अपना फैसला कब सुनाएगा, इस बात का इंतज़ार शायद हर किसी को है। इसी बीच हम आज आपके लिए आप सब की प्रिय नगरी अयोध्या से जुड़ी ही जानकारी लाएं हैं जिसे जानने का इच्छुक शायद हर कोई होगा। तो चलिए बिना देर करते हुए जानते हैं अयोध्या से जुड़ी खास बातें-

अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता।
मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम्।। (रामायण १-५-६)

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कहा जाता है सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी रामायण के अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। इसके अलावा स्‍कंद पुराण के अनुसार अयोध्‍या नगरी भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान है। यह हिन्दुओं की प्राचीन सप्त पुरियों में से एक है।

कहते हैं कि असल में 'अयोध्या' शब्द 'अयुद्धा' का बिगड़ा स्वरूप है। रामायण काल में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी थी। कहा जाता है भगवान राम के पुत्र लव ने एक श्रावस्ती नगरी बसाई। जो बौद्ध काल में राज्य का प्रमुख शहर बन गया और ये 'साकेत' नाम से प्रचलित हो गया। कहा जाता है कालिदास ने उत्तर कोसल की राजधानी साकेत और अयोध्या दोनों ही का नामोल्लेख किया है।
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इतिहासकारों के मुताबिक बौद्ध काल में कोसल के दो भाग हो गए थे- उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल। इनके बीच में सरयू नदी बहती थी। बताया जात है अयोध्या या साकेत उत्तरी भाग की और श्रावस्ती दक्षिणी भाग की राजधानी थी। जिसका उस काल में अधिक महत्व था। कहते हैं कि बौद्ध काल में ही अयोध्या के समीप एक नई बस्ती बन गई थी जिसका नाम साकेत था। बता दें जीपी मललसेकर, डिक्शनरी ऑफा पालि प्रापर नेम्स के भाग 2 पृष्ठ 1086 के अनुसार पालि-परंपरा के साकेत को सई नदी के किनारे उन्नाव जिले में स्थित सुजानकोट से जोड़ा है जहां के खंडहर इस बात का सबूत है।

विद्वानों की मानें तो प्राचीनकाल में अयोध्या कोसल क्षेत्र के एक विशेष क्षेत्र अवध की राजधानी थी जिस कारण इसे 'अवधपुरी' भी कहा जाता था। 'अवध' का अर्थ, जहां किसी का वध न होता हो तथा अयोध्या का अर्थ- जिसे कोई युद्ध से जीत न सके।
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स्कंद पुराण में उल्लेख के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है। इसका शाब्दिक अर्थ है- जहां पर युद्ध न हो।

बताया जाता है अयोध्या का पुराना नाम भी अयोध्या ही था, क्योंकि वाल्मीकि रामायण में इसका नाम अयोध्या ही वर्णित है। इसके साथ पुराणों में जब प्राचीन सप्त पुरियों का उल्लेख किया जाता है, तब भी उस नामोल्लेख में 'अयोध्या' शब्द का ही उपयोग किया गया है।
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हिंदू धर्म के प्रमुक ग्रंथों में से एक माने जाने वाले अथर्व वेद में भी अयोध्या को 'ईश्वर का नगर' बताया गया है।
'अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या'।

परंतु नंदूलाल डे, द जियोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़, ऐंश्येंट एंड मिडिवल इंडिया के पृष्ठ 14  पर लिखे वर्णन के अनुसार श्री राम के समय इस नगर का नाम अवध था।

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