Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Oct, 2023 07:19 AM
समाज सेवक बाबा आमटे बचपन में छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाया करते थे। एक बार उनके एक घनिष्ठ मित्र ने उनसे कुछ ऐसी बात कह दी, जिसका उन्हें बहुत बुरा लगा।
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Social worker Baba Amte story: समाज सेवक बाबा आमटे बचपन में छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाया करते थे। एक बार उनके एक घनिष्ठ मित्र ने उनसे कुछ ऐसी बात कह दी, जिसका उन्हें बहुत बुरा लगा। नाराज होकर उन्होंने उससे बोलना ही छोड़ दिया। वह मित्र बाबा आमटे के प्रति बेहद स्नेह रखता था। उसने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन जब वह उसके समझाने पर भी नहीं माने तो वह बाबा आमटे की मां के पास गया और उनसे आमटे को समझाने के लिए कहा। रूठने वाली बात सुनकर बाबा आमटे की मां ने, मित्र को आश्वासन दिया कि उनका बेटा ज्यादा दिन तक उससे रूठा नहीं रहेगा और कुछ दिन बाद वह खुद आकर उससे बात करेगा।
कुछ दिनों बाद बाबा आमटे की मां उन्हें बगीचे में लेकर गई। उस समय पतझड़ का मौसम चल रहा था और पेड़ के सड़े-गले पत्ते, पीले होकर नीचे गिर रहे थे।
मां ने उन पत्तों को बाबा आमटे को दिखाते हुए कहा, ‘‘बेटा, देखो ये पुराने पत्ते किस प्रकार अनायास झड़ रहे हैं। हमारे मन के पुराने मनमुटाव, मतभेद आदि को भी इसी तरह झड़ जाना चाहिए। हमें अपने मन के इन पुराने द्वेष एवं गलतफहमी को जमा करके नहीं रखना चाहिए, बल्कि उन्हें भी पेड़ के सड़े-गले पत्तों की तरह झटक कर फेंक देना चाहिए क्योंकि ये न केवल हमारे तनाव और दुख का कारण बनते हैं, बल्कि हमारी उन्नति में भी बाधक होते हैं। ’’
ममतामयी मां के इन प्रेरक शब्दों ने बाबा आमटे पर गहरा असर किया। वह उसी समय अपने उस मित्र के घर पहुंचे, जिससे वह रूठे हुए थे। उन्होंने उससे बातचीत शुरू कर दी तथा साफ किया कि भविष्य में इस तरह के व्यवहार की पुनरावृत्ति नहीं होगी। मां की बातों ने उनके मन पर गहरा असर किया था।