Baba Balak Nath Mela: आज से शुरू हो रहे हैं बाबा बालक नाथ जी के मेले, पढ़ें कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Mar, 2024 06:50 AM

baba balak nath mela

हिमाचल प्रदेश के अनेक प्रमुख धर्मस्थलों में हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित बाबा बालक नाथ धाम एक दिव्य सिद्ध पीठ है। देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा 9 नाथ और 84

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Baba Balak Nath Mela 2024: हिमाचल प्रदेश के अनेक प्रमुख धर्मस्थलों में हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित बाबा बालक नाथ धाम एक दिव्य सिद्ध पीठ है। देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा 9 नाथ और 84 सिद्ध भी हुए हैं, जो सहस्त्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी वे अपने सूक्ष्म रूप में लोक में विचरण करते हैं। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है।

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प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार माना जाता है। धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई (जिला बिलासपुर) नामक स्थान पर पहुंचे थे। यहां रहने वाली माई रत्नो नामक महिला, जिनकी कोई संतान नहीं थी, ने इन्हें अपना धर्म-पुत्र बनाया।

बाबा जी ने 12 वर्ष माई रत्नो की गउएं चराईं। एक दिन माई रत्नो के ताना मारने पर बाबा जी ने अपने चमत्कार से 12 वर्ष की लस्सी व रोटियां एक पल में लौटा दीं। इस घटना की जब आसपास के क्षेत्रों में चर्चा हुई तो ऋषि-मुनि व अन्य लोग इनकी चमत्कारिक शक्ति से बहुत प्रभावित हुए।

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गुरु गोरखनाथ जी को जब यह ज्ञात हुआ कि एक बालक बहुत ही चमत्कारी शक्ति वाला है, तो उन्होंने  इन्हें अपना चेला बनाना चाहा, परंतु बाबा जी के इंकार करने पर गोरखनाथ बहुत क्रोधित हुए। जब गोरखनाथ ने उन्हें जबरदस्ती चेला बनाना चाहा तो बाबा जी शाहतलाई से उडारी मार कर धौलगिरि पर्वत पर पहुंच गए, जहां आजकल इनकी सुंदर गुफा है।

मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अखंड धूना सबको आकर्षित करता है। यह धूना बाबा बालक नाथ जी का तेजस्थल होने के कारण भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। धूने के पास ही बाबा जी की गुफा के सामने एक बहुत सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया है, जहां से महिलाएं बाबा जी की सुंदर गुफा में प्रतिष्ठित मूर्ति के दर्शन करती हैं। बताया जाता है कि जब बाबा जी गुफा से अलोप हुए तो यहां एक दियोट (दीपक) जलता रहता था, जिसकी रोशनी रात्रि को दूर-दूर तक जाती थी, इसलिए लोग बाबा जी को दियोट सिद्ध के नाम से भी जानते हैं। बाबा जी का वार्षिक मेला 14 मार्च से शुरू हो रहा है।  

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