Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 May, 2022 09:38 AM
माता बगलामुखी भोग और मोक्ष दोनों देने वाली हैं। सांख्यायन तंत्र शास्त्र में भी बगलामुखी की महिमा वर्णित की गई है। तंत्र शास्त्रों में इसे ब्रह्मास्त्र विद्या संतम्भिनी विद्या, मंत्र संजीवनी विद्या के नाम से
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Baglamukhi Jayanti 2022: माता बगलामुखी भोग और मोक्ष दोनों देने वाली हैं। सांख्यायन तंत्र शास्त्र में भी बगलामुखी की महिमा वर्णित की गई है। तंत्र शास्त्रों में इसे ब्रह्मास्त्र विद्या संतम्भिनी विद्या, मंत्र संजीवनी विद्या के नाम से भी अभिहित किया गया है। सांख्यायन तंत्र के अनुसार कलियुग के तमाम संकटों का निवारण करने में भगवती बगलामुखी की साधना उत्तम मानी गई है। अत: आधि-व्याधि से त्रस्त वर्तमान समय में मां पीताम्बरा की साधना कर मानव अत्यंत अलौकिक सिद्धियों को अर्जित कर अपनी समस्त अभिलाषाओं को प्राप्त कर सकता है। बगलामुखी को सिद्ध करने के लिए दृढ़ निश्चय, आत्म विश्वास तथा निर्मल चित्त का होना अति आवश्यक है। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना गया है। भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्य प्रदेश) में हैं।
तीनों ही मंदिर अपना अलग-अलग महत्व रखते हैं। यहां देश भर से शैव और शाक्त मार्गी साधु संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।
हिमाचल में कांगड़ा जिला के रानीताल-देहरा सड़क के किनारे बनखंडी में स्थित सिद्धपीठ माता बगलामुखी मंदिर है। इसकी द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक रात में ही स्थापना की गई थी जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन और भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी।
मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहां लोग माता के दर्शन के उपरांत अभिषेक करते हैं।
बगलामुखी अनुष्ठान में पीले रंग, पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पीले पदार्थ, हल्दी की गांठ का विशेष महत्व है। मां बगलामुखी की उपासना गुरु के सान्निध्य में ही की जानी चाहिए।