श्रीमद्भगवद्गीता: भगवान की सहायता चाहते हैं तो करें ये 1 काम

Edited By ,Updated: 05 Dec, 2016 02:44 PM

bhagwad gita

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार : स्वामी प्रभुपाद अध्याय छह ध्यानयोग गौरैया का आदर्श स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिॢवण्णचेतसा। संकल्पप्रभवान्कामान्स्त्यक्तवा सर्वानशेषत:।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार : स्वामी प्रभुपाद अध्याय छह ध्यानयोग

 

गौरैया का आदर्श
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिॢवण्णचेतसा।
संकल्पप्रभवान्कामान्स्त्यक्तवा सर्वानशेषत:।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्तत:॥24॥

 

शब्दार्थ : स:—उस; निश्चयेन—दृढ़ विश्वास के साथ; योक्तव्य:—अवश्य अभ्यास करें; योग:—योगपद्धति; अनिॢवण्ण-चेतसा—विचलित हुए बिना; सङ्कल्प— मनोधर्म से; प्रभवान्—उत्पन्न; कामान्—भौतिक इच्छाओं को; त्यक्त्वा —त्यागकर; सर्वान्—समस्त; अशेषत:—पूर्णतया; मनसा—मन से; एव—निश्चय ही; इंद्रिय-ग्रामम्—इंद्रियों के समूह को; विनियम्य—वश में करके; समन्तत:—सभी ओर से। 


अनुवाद : मनुष्य को चाहिए कि संकल्प तथा श्रद्धा के साथ योगाभ्यास में लगे और पथ से विचलित न हो। उसे चाहिए कि मनोधर्म से उत्पन्न समस्त इच्छाओं को निरपवाद रूप से त्याग दे और इस प्रकार मन के द्वारा सभी ओर से इंद्रियों को वश में करे।


तात्पर्य : योगाभ्यास करने वाले को दृढ़ संकल्पी होना चाहिए और उसे चाहिए कि बिना विचलित हुए धैर्यपूर्वक अभ्यास करे। ऐसे दृढ़ अभ्यासी की सफलता सुनिश्चित है। 
भक्तियोग के संबंध के रूप में गोस्वामी का कथन है : 
उत्साहान्निश्चयाद्वैर्यात्ततत्कर्मप्रवर्तनात्
संगत्यागात्सतो वृत्ते: षड्भिर्भक्ति: प्रसिद्धयति॥


मनुष्य पूर्ण हार्दिक उत्साह, धैर्य तथा संकल्प के साथ भक्तियोग का पूर्णरूपेण पालन भक्त के साथ रह कर निर्धारित कर्मों के करने तथा सत्कार्यों में पूरी तरह लगे रहने से कर सकता है।’’ (उपदेशामृत 3)


जहां तक संकल्प की बात है मनुष्य को चाहिए कि उस गौरैया का आदर्श ग्रहण करे जिसके सारे अंडे समुद्र की लहरों में मग्र हो गए थे। कहते हैं कि एक गौरैया ने समुद्र तट पर अंडे दिए किन्तु विशाल समुद्र उन्हें अपनी लहरों में समेट ले गया।


इस पर गौरैया अत्यंत क्षुब्ध हुई और उसने समुद्र से अंडे लौटा देने के लिए कहा किन्तु समुद्र ने उसकी प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया। अत: उसने समुद्र को सुखा डालने की ठान ली। वह अपनी नन्ही सी चोंच से पानी उलीचने लगी।  सभी इसके इस असंभव संकल्प का उपहास करने लगे। उसके इस कार्य की सर्वत्र चर्चा चलने लगी तो अंत में भगवान विष्णु के विराट वाहन पक्षीराज गरुड़ ने यह बात सुनी। उसे अपनी इस नन्ही पक्षी बहन पर दया आई और उसने उसकी सहायता करने का वचन दिया। गरुड़ ने तुरंत समुद्र से कहा कि वह उसके अंडे लौटा दे नहीं तो उसे स्वयं आगे आना पड़ेगा। इससे समुद्र भयभीत हुआ और उसने अंडे लौटा दिए। वह गौरैया गरुड़ की कृपा से सुखी हो गई। 


इसी प्रकार योग, विशेषतया कृष्णभावनामृत में भक्तियोग अत्यंत दुष्कर प्रतीत हो सकता है किन्तु जो कोई संकल्प के साथ नियमों का पालन करता है भगवान निश्चित रूप से उसकी सहायता करते हैं क्योंकि जो अपनी सहायता आप करते हैं भगवान उनकी सहायता करते हैं। 


(क्रमश:)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!