मिल गया वेदों में वर्णित भीम कुंड, जिसने बुझाई थी द्रौपदी की प्यास

Edited By Jyoti,Updated: 07 Jul, 2019 04:44 PM

bheem kund in chhatarpur

अगर बात करें हिंदू धर्म के ग्रंथों की तो इसमें ज्ञान का भंडार तो है ही साथ ही साथ इसमें ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में आज तक किसी को पता चल नहीं पाया है।

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अगर बात करें हिंदू धर्म के ग्रंथों की तो इसमें ज्ञान का भंडार तो है ही साथ ही साथ इसमें ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में आज तक किसी को पता चल नहीं पाया है। मगर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के लोगों ने यहां शास्त्रों में वर्णित भीम नामक कुंड की खोज कर निकाली है। वैसे तो भारत में आए दिन कोई न कोई चमत्कार देखने को मिल ही जाता है। जिनमें से ज्यादातर रहस्य व चमत्कारों का संबंध हिंदू धर्म से ही जुड़ा हुआ होता है। लेकिन भीम नामक कुंड का पृथ्वी पर मिलना किसी अजूबे से कम नहीं है। तो आइए जानते हैं इस अद्भुत और अनोखे कुंड के बारे में-
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यहां रहने वाले निवासियों के अनुसार हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों व वेदों में इस कुंड का वर्णन है। इनके मुताबिक जब महाभारत के पांच पांडव अपना वनवास जीवन व्यतीत कर रहे तब भीम ने अपनी गदा को ज़मीन पर मारकर इस कुंड का निर्माण किया था। यही कारण है आज तक इस कुंड के अथाह और विशाल जल होने के पीछे का कारण जान नहीं पाया। यहां तक कि वैज्ञानिक तक इसका रहस्य जानने में असफल हो गए हैं।
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कहां है भीम कुंड-
छतरपुर ज़िले से 80 कि.मी. दूरी पर दुर्गम पहाड़ियों के बीचो-बीच प्रकृति की अनोखी छटा में स्थित भीम नामक कुण्ड वह स्थान जिसका उल्लेख महाकाव्य ग्रंथ महाभारत में किया गया है। वैसे तो हम में से बहुत से लोग इस भीम कुंड की गाथा जानते होंगे। मगर हम दावे के साथ कह सकते हैं इस जगह को आज तक किसी ने देखा नहीं होगा। बता दें वेदों में वर्णित इस जगह को लोगों ने बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में खोज निकाला है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है जब पांच पांडवों का बनवास हुआ तो वनवास के समय द्रौपदी को असहनीय प्यास लगी और वह पांचों भाइयों से पानी की मांग करने लगी। मगर पहाड़ियों पर और जंगलों में पानी मिलना एक कल्पना मात्र था। पांचों भाईयों में से नकुल, सहदेव ज्योतिष के अच्छे ज्ञानी थे। उन्होंनें भीम को इसी पहाड़ी क़ि चोटी पर अथाह पानी के होने का बताया। इतना सुनते ही भीम ने अपनी गदा से यहां पर प्रहार किया पहाड़ी पर गदा मारते ही विशाल जल निकलने लगा जिससे उनकी द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई।

यहां के लोगों का कहना है सतयुग में भीम द्वारा पहाड़ी पर गदा से किए प्रहार का निशान आज भी बने हुए हैं। पहाड़ी की चोटी पर आज भी एक छेद है जो भीम की गदा की निशानी है। जल क़ा ये अनोखा नज़ारा जमीन से 200 मीटर गुफा के द्वारा रास्ता तय करने के बाद दिखाई देता है। वेदों के जानकर इस जगह को पांडवों के वनवास की कर्म स्थली बताते हैं। सतयुग में भीम के गदा से निकला अथाह जल का विशाल भंडार कलियुग में भी लोगों के लिए कोतुहाल का विषय बना हुआ है। कई बार स्थानीय लोगों के साथ साथ गोताखोरों ने इस जलाशय की जड़ तक जाने की कोशिश की लेकिन वे इस अद्भुत जल के छोड़ तक नहीं पहुंच पाए।
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