Birthday Celebration: दुनिया भर में रूहानियत के लिए पहचाने जाते थे संत कृपाल सिंह महाराज

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Feb, 2022 11:21 AM

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20वीं शताब्दी में दुनिया भर में रूहानियत के लिए पहचाने जाने वाले संत कृपाल सिंह महाराज रूहानी मिशन के चेयरमैन थे

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Birthday Celebration Of Sant Kirpal Singh Ji Maharaj: 20वीं शताब्दी में दुनिया भर में रूहानियत के लिए पहचाने जाने वाले संत कृपाल सिंह महाराज रूहानी मिशन के चेयरमैन थे। उनका जन्म 6 फरवरी 1894 को रावलपिंडी के गांव सैयद कसरां (जोकि अब पाकिस्तान में है) में हुआ। इनके पिता का नाम हाकम सिंह तथा माता का नाम गुलाब देवी था। केवल 4 वर्ष की आयु में ही परमात्मा को पा लेने वाले संत कृपाल सिंह स्वयं परमात्मा का रूप थे। उनकी शुरू से ही पूर्ण पुरुष को मिलने की तमन्ना थी। वह जब भी अंतर्ध्यान होते थे, तब उन्हें हाथ में छड़ी पकड़े एक बाबा जी दिखाई देते थे। 

Hazur baba sawan singh ji maharaj: सन् 1924 में लाहौर में रहते हुए उन्होंने ब्यास नदी पर जाने का निश्चिय किया, तब वहां उन्हें पहली बार बाबा सावन सिंह के दर्शन हुए। 2 अप्रैल 1948 को सावन सिंह महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया और इसके बाद संत कृपाल सिंह भी व्यास को छोडक़र ऋषिकेश के जंगलों में तपस्या करने निकल पड़े। वहां उनके साथ उनके गुरु भाई हर देवी ताई जी (जोकि लाहौर में राजा बाजार के मालिक थे) भी निकल पड़े। इस दौरान संत कृपाल सिंह को फिर अंतर्ध्यान में महाराज सावन सिंह का आदेश हआ कि वह ऋषिकेश से दिल्ली आकर अपने रूहानी मिशन को जारी रखें। इस दौरान महाराज ने कई विश्व यात्राएं की। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति मिखायिल गोबारचेव ने भी उनके दर्शन किए और उनके मुरीद हो गए। 

Birthday of Sant Kirpal Singh Ji Maharaj: 1955 में उन्होंने अपने पहले विश्व दौरे में अमरीका और यूरोप सहित कई देशों में लोगों तक अपने मिशन का संदेश दिया। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति मिखायिल गोबारचेव भी उनके दर्शन कर मुरीद होकर बोले कि गॉड इज इन इंडिया। 

Sawan Kirpal Ruhani Mission: संत कृपाल सिंह ने 1974 ई. में यूनिटी ऑफ मैन एक विश्व धर्म सम्मेलन दिल्ली में बुलाया। इसी के साथ अशोक सम्राट के बाद संत कृपाल महाराज विश्व धर्म सम्मेलन बुलाने वाले पहले संत बने। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित इस धर्म सम्मेलन में सभी धर्मों के प्रमुखों समेत दुनिया भर से लाखों की तादाद में लोग शामिल हुए। वहीं सभी धर्म गुरुओं के अलावा इंदिरा गांधी, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और कई महान नेताओं ने भी हिस्सा लिया। 21 अगस्त 1974 को संत कृपाल सिंह ने महासमाधि लेकर अपना चोला छोड़ दिया। फिर इनके बेटे दर्शन सिंह ने गद्दी संभाली। अब गद्दी पर संत राजिंद्र सिंह विराजमान हैं। इस समय दुनिया भर के देशों में सावन कृपाल रूहानी मिशन के सैंटर चल रहे हैं। 6 फरवरी को संत कृपाल महाराज के जन्मदिवस पर उनके चरणों में लख-लख बार प्रणाम व सभी संगत को बधाई।

प्रस्तुति : राजेश रुद्रा, चेयरमैन दि चेन ऑफ ग्रीनलैंड स्कूल्ज
 

 

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