Edited By Jyoti,Updated: 22 Nov, 2020 06:15 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र मे ऐसी बहुत सी नीतियों के बारे में बताया है। इनके नीति शास्त्र की सबसे खास बात तो यही है कि इसमें किसी एक विषय के बारे में नहीं।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र मे ऐसी बहुत सी नीतियों के बारे में बताया है। इनके नीति शास्त्र की सबसे खास बात तो यही है कि इसमें किसी एक विषय के बारे में नहीं। बल्कि लगभग मनुष्य जीवन से जुड़ी वो हर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। जिसके बारे में जानना मनुष्य के लिए आवश्यक होता है। इन्ही में से कुछ आज हम आपको कुछ के बारे में बताने वाले हैं। कहा जाता है इनकी नीतियां प्रासंगिक हैं, कि न केवल प्राचीन समय में बल्कि वर्तमान समय में भी बड़े से बड़ा व्यक्ति इन्हें अपनाता है। अगर इनके ज्ञान की सटीक उदाहरण की बात करें, तो इनके नीति शास्त्र में वर्णित इनकी नीतियों इसकी परफेक्ट उदाहरण है। तो चलिए और न इंतज़ार करवाते हुए इनकी कुछ खास नीति श्लोक के साथ-
नास्त्यहंकारसम: शत्रु:।
अहंकार से बड़ा मनुष्य का शत्रु नहीं
अर्थात- जो राजा घमंडी और अहंकारी होता है, वह बहुत जल्द नष्टï हो जाता है और सदा-सदा के लिए रावण तथा कंस जैसे राजाओं की भांति ङ्क्षनदा का पात्र बन जाता है इसलिए अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
संसदि शत्रुं न परिक्रोशेत्।
सबके बीच शत्रु पर क्रोध नहीं
अर्थात- वही राजा बुद्धिमान है जो अपनी सभा में आए शत्रु पर क्रोध नहीं करता और उसे कटु वचन नहीं कहता। वह शत्रु को उत्तेजित होने का अवसर नहीं देता।
इसके अलावा चाणक्य कहते हैं मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता।