Edited By Jyoti,Updated: 18 Apr, 2021 05:22 PM
हर किसी की कामना होती है कि उसका दांपत्य जीवन सुखी रहे, इसीलिए शादी के लिए जब भी लोग लड़का लड़की ढूंढते हैं तो बहुत से गुण मिलाते हैं कम आप बहुत सी
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हर किसी की कामना होती है कि उसका दांपत्य जीवन सुखी रहे, इसीलिए शादी के लिए जब भी लोग लड़का लड़की ढूंढते हैं तो बहुत से गुण मिलाते हैं कम आप बहुत सी बातों पर विचार विमर्श करते हैं। ताकि शादीशुदा जीवन सुखी खुशहाल रहे। आचार्य के इस संदर्भ में कहते हैं कि शादीशुदा जीवन को खुशहाल बनाने के लिए यूं तो बहुत सी बातों का समान होना जरूरी है परंतु उन्होंने अपने नीति सूत्र में इससे जुड़ा एहसास श्लोक दिया है जिसमें उन्होंने शादीशुदा जीवन या दांपत्य जीवन में खुशहाली का रहस्य छिपा हुआ है। महान विद्वान के रहने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़े लगभग हर पहलू को बताया है इसी में एक श्लोक दंपति जीवन को सुखी बनाने के बारे में भी वर्णित है तो आइए जानते हैं जनक की नीति का श्लोक साथ ही साथ इसका अर्थात-
चाणक्य नीति सूत्र श्लोक-
भर्तृवशवर्तिनी भार्या।
भावार्थ- दांपत्य जीवन में सुख का रहस्य
अर्थात- पति-पत्नी के मध्य विचारों में समानता का होना परम आवश्यक है। इच्छाएं अलग-अलग हो सकती हैं पर विचारों की समानता से दा पत्य जीवन की गाड़ी सही पटरी पर दौड़ती है, आपस में कभी कलह नहीं होती और जीवन सुखमय बना रहता है।
इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने गुरु से जुड़ा एक श्लोक दिया है जिसमें उन्होंने गुरु और शिष्य के बारे में जानकारी दी है। यहां जानें वह श्लोक
चाणक्य नीति सूत्र श्लोक-
भावार्थ- गुरु की कृपा जरूरी
अर्थात- गुरुवशानुवर्ती शिष्य:।
जो शिष्य अपने गुरु की इच्छा के अनुसार विद्याध्ययन और कार्य करता है, वह अपने गुरु का सबसे प्रिय शिष्य होता है। गुरु भी उस पर विशेष कृपा दृष्टि रखते हैं तथा उसके कल्याण में सर्वाधिक रुचि रखते हैं।