इन मंत्रों का रोजाना करें उच्चारण, आध्यात्मिक शक्ति में होगी वृद्धि

Edited By Updated: 06 Jan, 2018 01:50 PM

chant these mantras everyday accentuation of spiritual power

हिंदू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिंतन होता है। मंत्रणा और मंत्री इसी मूल से बने शब्द हैं। मंत्र भी एक प्रकार की वाणी है, परंतु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बंधन में नहीं डालते बल्कि...

हिंदू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिंतन होता है। मंत्रणा और मंत्री इसी मूल से बने शब्द हैं। मंत्र भी एक प्रकार की वाणी है, परंतु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बंधन में नहीं डालते बल्कि बंधन से मुक्त करते हैं। मंत्र वह ध्वनि है जो अक्षरों एवं शब्दों के समूह से बनती है। यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड एक तरंगात्मक ऊर्जा से व्याप्त है जिसके दो प्रकार हैं - नाद (शब्द) एवं प्रकाश। आध्यात्मिक धरातल पर इनमें से शब्कोई भी एक प्रकार की ऊर्जा दूसरे के बिना सक्रिय नहीं होती। मंत्र मात्र वह ध्वनियां नहीं हैं जिन्हें हम कानों से सुनते हैं, यह ध्वनियां तो मंत्रों का लौकिक स्वरुप भर हैं। भारत की प्राचीन 14 विद्याओं में से एक विद्या, मंत्र विज्ञान भी रही है। मंत्र का सीधा संबंध शरीर विज्ञान से है। अर्थात मुख से बोले जाने वाले शब्दों में प्रयोग स्वर व व्यंजन का हमारे शरीर के मर्म स्थानों से सीधा संबंध होता है, यानि कि जब हम कोई शब्द उच्चारित करते हैं, तो शरीर के उन मर्म स्थान पर स्पंदन होता है, जहां का शब्दों में प्रयुक्त स्वर व व्यंजन कारक हैं। आज हम आपको एेेसे कुछ मंत्रों को बारे में बताने जा रहे हैं जिससे मनुष्य की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। 


मंत्र: पुनन्तु विश्वभूतानि जातवेदः पुनीहि मा।

जप विधि
इस मंत्र का उच्चारण सुबह के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके लगातार 7 दिन तक  करें। इस मंत्र का जाप करने से मन एकाग्रचित हो जाता है। प्रत्येक दिन 3 बार इसका जप करें, इससे जिस काम को आप कर रहे हैं, उसमें मन लगा रहेगा। मनुष्य का मन सदैव चंचल रहता है, लेकिन यदि इस मंत्र का उच्चारण करें, तो अपने मन पर नियं‍त्रण रखा जा सकता है।

 


मंत्र: सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।

जप विधि
प्रात:काल जल्दी उठकर साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले माता दुर्गा की पूजा करें। इसके बाद एकांत में कुश के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र की प्रतिदिन 5 माला जप करने से तन, मन तथा कार्यों को सिद्ध करने की शक्ति प्राप्त होती है। यदि जप का समय, स्थान, आसन तथा माला एक ही हो तो यह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।

 


मंत्र: यानि कानि च पापानि, जन्मान्तोर कृ‍तानि च,
तानि सर्वाणि नश्यिन्तुा, प्रदक्षिणा पदे पदे।

जप विधि
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छता पूर्वक किसी साफ स्थान पर बैठकर सच्चे मन से इस मंत्र का जाप करें। हर मनुष्य की यही कामना होती है कि उसके परिवार और घर में सदैव शांति रहे। इस मंत्र का उच्चारण करने से घर में शांति का माहौल कायम रहता है।

 


मंत्र: दासोहमिति मां ज्ञात्वा क्षम्यतां परमेश्वर

जप विधि
इस मंत्र का जाप सुबह और शाम स्नान करके 100 बार जपें। अगर किसी को किसी  चीज का व्यसन हो और उसे नहीं छोड़ पा रहा हो तो शाम के समय मंत्र का जाप करें। निश्चय ही व्यसन छोड़ने में आप सफल होंगे। 

 


मंत्र: ओं आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नम: ममा लक्ष्मी
नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरू-कुरू
सम्पदं वर्घय-वर्घय स्वाहा:।

जप विधि
इस मंत्र को बुधवार को प्रारंभ करके संध्या के समय उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके प्रत्येक दिन तीन बार करें। इस सिद्धि मंत्र का प्रयोग गरीबी और दरिद्रता को दूर करने के लिए किया जाता है।


मंत्र: धरणी गर्भ सम्भूतम् विद्युत कान्ति समप्रभम्।
कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्।।

जप विधि
इस मंत्र का जप मंगलवार को संध्याकाल में करें। तीन दिन तक एक माला अर्थात 108 बार इसका जाप करें। लेकिन ध्यान रहे कि मंत्र का जाप चंदन या तुलसी की माला से ही करें। जप के दौरान प्रथमा अंगुली से माला को ना छुएं। जिस किसी व्यक्ति पर मंगल दोष होता है, उसका कोई भी काम सफल नहीं होता है। साथ ही लड़का-लड़की की शादी करनी ही है, परन्तु मंगली दोष बीच में बाधा बने हुए है तो भी इस मंत्र के जाप से इस दोष का निवारण किया जा सकता है।

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