Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Jun, 2025 02:00 PM

Chaturmas 2025: चातुर्मास (चार मास) का वर्णन शास्त्रों में अत्यंत गूढ़ रूप में हुआ है। चातुर्मास शब्द का सामान्य अर्थ है चार मास लेकिन तात्त्विक दृष्टि से यह चतुर आत्मिक मार्गों की साधना का काल है। ध्यान (ध्यानयोग), व्रत (इन्द्रिय संयम), स्वाध्याय...
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Chaturmas 2025: चातुर्मास (चार मास) का वर्णन शास्त्रों में अत्यंत गूढ़ रूप में हुआ है। चातुर्मास शब्द का सामान्य अर्थ है चार मास लेकिन तात्त्विक दृष्टि से यह चतुर आत्मिक मार्गों की साधना का काल है। ध्यान (ध्यानयोग), व्रत (इन्द्रिय संयम), स्वाध्याय (ज्ञानयोग), उपासना (भक्तियोग)। इन चारों के समन्वय से साधक चातुर्मास में चैतन्य को स्थिर करता है। यह काल देवताओं के योग-निद्रा में जाने का नहीं, अपितु जगत की अंतःप्रवृत्तियों के नियंत्रण का समय होता है।
चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। चातुर्मास के चार महीनों में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक में संत-महात्माओं से लेकर आम जन तक धर्म और अध्यात्म के रंग में रंग जाते हैं। इस दौरान हिन्दू धर्म के अनेक उत्सव, पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। इनकी शुरूआत श्रावण मास से ही होती है। इसलिए इस मास को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं 4 महीने के लिए भगवान विष्णु अपने प्रिय भक्त राजा बली के घर पाताललोक में रहते हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी को वापिस आते हैं।

पदमपुराण के अनुसार जिन दिनों में भगवान विष्णु शयन करते हैं, उन चार महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं। इन 4 मासों में विभिन्न कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। जिन दिनों में भगवान विष्णु शयन करते हैं उन 4 महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं। देवशयनी एकादशी से हरिप्रबोधनी एवं देवउत्थान एकादशी तक चातुर्मास चलेगा, यानि 6 जुलाई से 1 नवम्बर तक के चार महीनों में विभिन्न धार्मिक कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है क्योंकि इन दिनों में किसी भी जीव की ओर से किया गया कोई भी पुण्यकर्म कभी खाली नहीं जाता। वैसे तो चातुर्मास का व्रत देवशयनी एकादशी से शुरु होता है परंतु द्वादशी, पूर्णिमा, अष्टमी और कर्क की सक्रांति से भी यह व्रत शुरु किया जा सकता है।

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में जब सूर्य कर्क राशि में रहता है, तब जगत्पति भगवान मधुसूदन शयन करते हैं और जब सूर्य तुला राशि में आता है तब भगवान की जागरण लीला होती है।
