Chhathi Maiya: छठ मैया कौन हैं और क्यों की जाती है उनकी पूजा, पढ़ें पौराणिक कथा

Edited By Updated: 25 Oct, 2025 06:56 AM

chhathi maiya

Chhathi Maiya: छठ पर्व का नाम षष्ठी के अपभ्रंश से पड़ा है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। दिवाली के छह दिन बाद आने वाले इस महापर्व को छठ कहा जाता है। यह चार दिवसीय पर्व है जिसमें व्रती पूरी शुद्धता और पवित्रता का पालन...

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Chhathi Maiya: छठ पर्व का नाम षष्ठी के अपभ्रंश से पड़ा है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। दिवाली के छह दिन बाद आने वाले इस महापर्व को छठ कहा जाता है। यह चार दिवसीय पर्व है जिसमें व्रती पूरी शुद्धता और पवित्रता का पालन करते हैं। पारंपरिक नियमों के अनुसार छठ व्रत बहुत कठोर होता है, इसलिए इसे महापर्व और महाव्रत भी कहा जाता है।

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Who is Chhathi Maiya छठी मैया कौन हैं ?
छठी मैया जिन्हें षष्ठी माता भी कहा जाता है, बच्चों की रक्षक देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि ये सूर्य देव की बहन हैं और इन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रती सूर्य देव की पूजा और जल की महत्ता को समझते हुए उन्हें साक्षी मानकर उपासना करते हैं। छठी मैया की पूजा नदी, तालाब या किसी पवित्र जल स्रोत के किनारे की जाती है। इनकी आराधना से संतान को लंबी आयु, स्वास्थ्य और सफलता की प्राप्ति होती है।

पुराणों में उल्लेख है की मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया। छठवें अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी माना गया है। इन्हें ब्रह्मा की मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है।

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Importance of Chhath Puja छठ पूजा का महत्व
छठी मैया की पूजा के माध्यम से व्रती भगवान सूर्य को धन्यवाद देते हैं और उनके साथ माता गंगा या यमुना को साक्षी मानकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह पूजा संतान और परिवार की रक्षा के लिए की जाती है। शिशु के जन्म के छह दिन बाद भी इन्हीं देवी की आराधना होती है। इस व्रत को करने से संतान को स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता प्राप्त होती है।

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Chhath Vrat Katha छठ व्रत की कथा
पुराणों में वर्णित कथा अनुसार, छठी मैया ने अपने छठवें अंश में माता रूप ग्रहण किया और बच्चों की रक्षा का संकल्प लिया। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को उन्होंने स्वयं धरती पर अवतार लिया। व्रती इस दिन सूर्य देव और माता गंगा या जल स्रोत के माध्यम से उनकी आराधना करते हैं। श्रद्धा से किया गया व्रत व पूजा परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाती है।

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Chhath Puja Rules & Rituals छठ पूजा के प्रमुख नियम
व्रती चार दिन कठोर व्रत रखते हैं।
नदी या तालाब के किनारे सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
भोजन और जल को पूर्ण पवित्रता के साथ तैयार किया जाता है।
परिवार और बच्चों की मंगलकामना के लिए विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है।
श्रद्धा और नियम का पालन करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।

Benefits of worshipping Chhathi Maiya छठी मैया की पूजा से मिलने वाले लाभ
बच्चों का स्वास्थ्य और दीर्घायु बढ़ती है।
घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
व्रती को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुराणों में कहा गया है कि इस दिन किया गया पुण्य कई जन्मों तक फलदायी रहता है।

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