Dev Uthani Ekadashi 2020: इस दिन पितृ दोष से भी मिलती है मुक्ति, करने होंगे ये कुछ काम

Edited By Jyoti,Updated: 24 Nov, 2020 04:45 PM

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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जिस सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, को भगवान विष्णु श्री हरि 4 मास की निद्रा में चले जाते हैं। जिसके साथ ही सनातन धर्म में होने वाले तमाम तरह के धार्मिक कार्यों आदि पर रोक लग जाती है।

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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जिस सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, को भगवान विष्णु श्री हरि 4 मास की निद्रा में चले जाते हैं। जिसके साथ ही सनातन धर्म में होने वाले तमाम तरह के धार्मिक कार्यों आदि पर रोक लग जाती है। अगर इस बीच अधिक मास पड़ जाए में तो चार माह का ये समय अवधि लंबी हो जाती है। 2020 में भी अधिक मास आने के कारण इस बार काफी त्यौहार देरी से आए। देवउत्थानी एकादशी की बात करें तो इस बार ये एकादशी 26 नवंबर को पड़ रही है। कथाओं के अनुसार इस दिन श्री हरि निद्रा से जाग जाते हैं, जिसके बाद समस्त प्रकार के शुभ कार्य एक बार फिर से दोबारा शुरू हो जाते हैं।तो वहीं इस दिन इनकी बढ़ चढ़कर पूजा की जाती है। कयोंकि कार्तिक मास का अधिक महत्व होता इसलिए इस माह में आने वाली एकादशी का खासा महत्व होता है। ऐसे में इस दिन श्री हरि की पूजा के साथ-साथ इस दिन कई तरह के उपाय किए जाते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि इस दिन किए जा सकने वाले खास उपाय जिन्हें करने से आप इस पितृ दोष आदि से मुक्ति मिलत सकती है।
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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरि प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है इस तिथि के दिन व्रत आदि करने वाले जातक को हज़ार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। तो वहीं ऐसे में इस दिन कुछ उपाय करने से पितृ दोष आदि से भी छटुकारा मिलता है। कहा जाता है जिन जातकों का जीवन पितृदोष से पीड़ित हो उन्हें इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों को नरक के दुखों से छुटकारा मिलता है।

ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ जातक को अपने इष्ट-देव की उपासना भी करनी चाहिए। तथा जितना हो सके "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करना चाहिए।
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जो व्यक्ति इस दिन तुलसी माता की पूजा करता है, तथा तुलसी माता व शालिग्राम की पूजा करता है, वो अकाल मृत्यु से बच जाता है। साथ ही साथ शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का भी शमन होने की मान्यता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन यानि देवउठनी एकादशी जातक को पौराणिक कथा का श्रावण या वाचन करना चाहिए, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
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इन सभी के अतिरिक्ति इस दिन श्री हरि को नींद से जगाने के लिए जातक को भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करना चाहिए।

'देव प्रबोधन मंत्र इस प्रकार है : -
ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय,
बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।

 
अर्थात- ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि से वंदनीय, हे जगन्निवास, देवताओं के स्वामी आप मंत्र के प्रभाव से सुखपूर्वक उठें।

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