Edited By Jyoti,Updated: 16 Dec, 2021 03:15 PM

सनातन धर्म के ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार जब देवी सती अपने पिता से रुष्ट होकर उन्हीं के घर में होने वाले यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई थी तब भगवान शंकर ने उन्हें अपनी गोद में लेकर
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सनातन धर्म के ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार जब देवी सती अपने पिता से रुष्ट होकर उन्हीं के घर में होने वाले यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई थी तब भगवान शंकर ने उन्हें अपनी गोद में लेकर उनके वियोग में पूरे ब्रह्मांड में विचरण किया था। धार्मिक नेताओं के अनुसार जहां जहां से भगवान शंकर माता सती की देव को लेकर गुजरे देवी सती के शरीर का एक-एक अंग गिरता चला गया जिससे वहां पर शक्ति पीठ निर्मित हुए माता बगलामुखी का मंदिर भी देवी सती के उन्हीं शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। बता दे देश में कुल 52 शक्ति पीठ स्थापित हैं, जिनका अपना अलग-अलग रहस्य है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में ऐसे ही शक्तिपीठ के दर्शन करवाने जा रहे हैं जिनके केवल दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
मां बगलामुखी को लेकर हिंदू धर्म में विशेष प्रकार की मान्यताएं प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति अपने सभी प्रकार के संकटों और शत्रु से छुटकारा पाता है। तो वहीं यह भी कहा जाता है कि 10 महाविद्याओं की शक्ति मां बगलामुखी में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति को वह भी प्राप्त होता है जो उसके भाग्य में लिखा नहीं होता। तूने देवी बगलामुखी के स्वरूप का जो वर्णन किया है उसके अनुसार इनके बाएं हाथ में शत्रु की जीवा का अग्रभाग और दाएं हाथ में मुद्गर सुशोभित हैं।
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि मां बगलामुखी माता के स्त्रोत्र का श्रवण और पाठ करने से साधक को अपने जीवन में विद्या, लक्ष्मी, यश, कीर्ति, संतान आदि सुख की प्राप्ति होती है। तो वहीं इनकी अराधना करने वाले जातक को कोर्ट कचहरी के मामलों और राजनीति आदि के मामलों में विजय की प्राप्ति होती है तो आइए आज दर्शन करते हैं मां बगलामुखी माता के कुछ ऐसे ही पावन स्थलों के जिन का अधिक धार्मिक महत्व है।
मां पीतांबरा
मां बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिरों में से सबसे पहला आता है दतिया का बगलामुखी मंदिर। इसके बारे में मान्यता है कि यह प्राचीन मंदिर महाभारत काल का है जिसे मां पितांबरा के नाम से जाना जाता है। लोकमत है कि इस मंदिर में माता का स्वरूप एक ही दिन में कुल 3 बार बदलता है।
मां बम्लेश्वरी
छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांद गांव जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर मां बमलेश्वरी का मंदिर स्थित है, जहां मां बगलामुखी विराजमान है। यहां प्रत्येक वर्ष आश्विन और चैत्र नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिस तरह लोग दूर-दूर से यहां माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
त्रिशक्ति माता
मां बगलामुखी को समर्पित एक मंदिर मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में भी स्थित है। जो यहां के लखुंदर नदी के किनारे है। इस चमत्कारिक मंदिर को लेकर मान्यता प्रचलित है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर जीने विजय प्राप्त करने के बाद श्री कृष्ण के निर्देश पर करवाई थी।
वनखंडी
इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भी मां बगलामुखी को समर्पित मंदिर स्थित है जिसे वनखंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लोकमत है कि इस मंदिर का निर्माण काल भी महाभारत में ही हुआ था। जिस कारण यह मंदिर लोगो में अति प्रसिद्ध है।