गंगा मां के धरती पर अवतरण की एक गाथा ये भी, क्या आप जानते हैं

Edited By Jyoti,Updated: 17 Jun, 2021 02:44 PM

ganga dussehra 2021

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ये त्यौहार 20 जून दिन रविवार को मनाया जाएगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ये त्यौहार 20 जून दिन रविवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा मां गंगा के धरती पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग देश भर में स्थित पावन नदियों व सर ओवरों में स्नान करते हैं। कहा जाता है इस दिन ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पापों की क्षमा मिलती है। तो चलिए इस खास अवसर के मद्देनजर जानते हैं गंगा दशहरा के पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा-

प्रचलित धार्मिक कथाओं के अनुसार अयोध्या में सागर नामक एक महा प्रतापी राजा राज्य करते थे। इन्होंने सातों समुद्रों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार दुनियाभर में किया था इन की दो पत्नियां थी जिनका नाम था केशिनि और सुमति। अपनी पहली रानी से इन्हें असमंजस नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी तथा दूसरी रानी से 60,000 पुत्र प्राप्ति।

पुरानी कथाओं के अनुसार एक बार राजा सगर ने अपने राज्य में अश्वमेध यज्ञ किया जिसकी पूर्ति के लिए उन्होंने एक घोड़ा छोड़ा। राजा इंद्र को जब इस यज्ञ के बारे में पता चला तो उन्होंने इस यज्ञ को भंग करने के लिए यज्ञीय अश्व का अपहरण कर उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। जब राजा को इस बात का पता चला तो उसने अपने साठ हजार पुत्रों को अश्व ढूंढने के लिए भेजा। राजा के पुत्रों ने सारा भूमंडल जान लिया परंतु अश्व नहीं मिला। अंत में अश्व को खोजते खोजते कपिल मुनि के आश्रम में जहां पहुंचे तो वहां उन्होंने मुनि को तपस्या करते पाया। के पास ही महाराज सागर का अश्व घास चर रहा था। जिसके बाद सागर के सारे पुत्र वहां जोर जोर से चोर चोर चलाने लगे। जिस कारण महर्षि कपिल की समाधि टूट गई। जैसे ही महा ऋषि ने अपनी आंखें खोली वैसे ही सब जलकर भस्म हो गए। जब राजा सगर का पुत्र अंशुमान अपने पितृव्य चरणों को खोजता हुआ कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचा तो महात्मा गरुड़ ने उन्हें राजा के सभी पुत्रों के भस्म होने का वृतांत सुनाया और उसे कहा कि अगर तुम इन सब की मुक्ति चाहते हो तो गंगा जी को स्वर्ग से धरती पर लाना होगा।  

परंतु इससे पहले तुम यह अश्व लेकर जाओ और अपने पितामह के यज्ञ को पूर्ण करवाओ। जब अंशुमन घोड़े को लेकर यज्ञ मंडप पर पहुंचा तो उसने राजा सगर को सारी बात बताई। कथाओं के अनुसार महाराजा सगर की मृत्यु के उपरांत अंशुमन और उनके पुत्र दिलीप जीवन पर्याप्त तपस्या करके भी गंगा जी को धरती पर न ला सके। अंत में महाराजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने गंगा जी को इस लोक में लाने के लिए गोकर्ण तीर्थ में जाकर कठोर तपस्या की जिसे करते करते उन्हें कई वर्ष वही बीत गए। कथाओं के अनुसार उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वर मांगने को कहा तो भागीरथ जी ने वरदान में गंगा जी को मांग लिया। भागीरथ द्वारा गंगा जी मांगने पर ब्रह्मा जी ने उन्हें कहा हे राजन! तुम गंगा को पृथ्वी पर ले जाना चाहते हो परंतु गंगा कि वेग को संभालने की शक्ति केवल सदा शिव भगवान शंकर में है इसलिए उचित होगा कि गंगा का भार संभालने के लिए तुम भगवान शिव से अनुग्रह प्राप्त करो। ब्रह्मा जी के बताए अनुसार राजा भगीरथ ने वैसा ही किया जिसके बाद शंकर ने गंगा जी को अपनी जटाओं में धारण किया मान्यता है कि राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाने की प्रयास के कारण ही इसे भगीरथी भी कहा जाता है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!