Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Sep, 2025 07:00 AM

Golden Temple in Tamil Nadu: जब भी गोल्डन टेंपल का नाम सामने आता है, तो ज़्यादातर लोगों के ज़हन में सबसे पहले अमृतसर की छवि उभरती है- सिख धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल और दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र लेकिन क्या आपको पता है कि...
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Golden Temple in Tamil Nadu: जब भी गोल्डन टेंपल का नाम सामने आता है, तो ज़्यादातर लोगों के ज़हन में सबसे पहले अमृतसर की छवि उभरती है- सिख धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल और दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में केवल एक ही गोल्डन टेंपल नहीं है ? जी हां, तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले में भी एक भव्य स्वर्ण मंदिर है, जिसे दक्षिण भारत का गोल्डन टेंपल कहा जाता है। यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है और इसे श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर कहां है और क्या है इसकी खासियत ?
यह भव्य मंदिर वेल्लोर शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर थिरुमलाई कोडी नामक स्थान पर स्थित है। अगर आप चेन्नई से यहां आना चाहें, तो यह दूरी लगभग 145 किलोमीटर है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से मुख्य गर्भगृह तक की दूरी करीब 1.5 से 2 किलोमीटर की है, जिसे पैदल तय करना होता है। इस रास्ते में हरियाली और शांति का अनुभव बेहद सुखद होता है।

1500 किलो सोना और 300 करोड़ की लागत
श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर का निर्माण बेहद भव्य और सुनियोजित ढंग से किया गया है। बताया जाता है कि इसमें करीब 1500 किलो शुद्ध सोने का उपयोग हुआ है और कुल लागत लगभग 300 करोड़ रुपये रही। मंदिर की दीवारों, छत और स्तंभों पर बारीक नक्काशी के साथ सोने की परत चढ़ाई गई है, जो इसे दिन में तो चमकदार बनाती ही है, लेकिन रात के समय इसकी रौनक देखने लायक होती है।

माता लक्ष्मी की 70 किलो की मूर्ति और दीपमाला की भव्यता
मंदिर में 70 किलो सोने की बनी माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है, जिसे देखकर श्रद्धालु दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, परिसर में एक 27 फीट ऊंची दीपमाला भी है, जिसमें जब दीपक जलते हैं तो मंदिर की चमक कई गुना बढ़ जाती है।
यहां लहराता है तिरंगा, सभी धर्मों के लिए खुले हैं द्वार
श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर की खास बात यह भी है कि यहां तिरंगा झंडा फहराया जाता है, जैसे कि राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि पर होता है। यह मंदिर सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है- चाहे वे सिख हों, ईसाई हों या मुसलमान।
कब हुआ निर्माण और क्यों है यह इतना प्रसिद्ध ?
इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2007 में पूरा हुआ था। अपनी भव्यता, दिव्यता और सौंदर्य के कारण यह मंदिर आज दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक बन चुका है। कहा जाता है कि इसकी सुंदरता कई प्राचीन मंदिरों को भी पीछे छोड़ देती है।
