Shravan Month: सभी देवताओं की पूजा का फल देता है सावन का महीना

Edited By Updated: 05 Aug, 2022 01:01 PM

how can we worship lord shiva in sawan month

श्रावण मास धर्म का साक्षात रूप है। इससे पूर्व वैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ मास के असहनीय ताप से सब कुछ सूखने लगता है। तब स्वत: ही वह ताप सौरमंडल में पहुंच कर बदल कर बरसने लगता है। शिव को सावन

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Sawan Maas 2022: श्रावण मास धर्म का साक्षात रूप है। इससे पूर्व वैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ मास के असहनीय ताप से सब कुछ सूखने लगता है। तब स्वत: ही वह ताप सौरमंडल में पहुंच कर बदल कर बरसने लगता है। शिव को सावन पसंद है और सोम अर्थात चंद्रमा भी। इसीलिए सावन में सोमवार के दिन शिव आराधना का विशेष महत्व है। इस बार सोमवार से आरंभ हुए सावन का महात्म्य और भी ज्यादा है क्योंकि यह सिद्धि योगों से युक्त है। भगवान शिव पूर्ण विश्वास हैं। विश्वास जीवन है और अविश्वास मृत्यु। विश्वास की डोर ही हमें शिव तक पहुंचा सकती है। 

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भगवान शिव को सभी लोग भोले बाबा कह कर पुकारते हैं। इसका कारण यह है कि विश्वास सदैव भोला होता है। इसमें कोई छल या दिखावा नहीं। शिव सदैव सहज रहते हैं इसीलिए शांत रहते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों का अनुभव है कि इस सृष्टि के प्रारंभ होने पूर्व भी सर्वत्र शिव तत्व ही व्याप्त था। शिव तत्व से ही सृष्टि उत्पन्न हुई। इसीलिए सृष्टि के जन्म दाता का विचार हो सकता है लेकिन वह तो अजन्मा, अविनाशी, अखंड है।

भगवान शिव जीवन और मृत्यु दोनों के साक्षी हैं। सम्पूर्ण सृष्टि राममय है वह अनेक बार भगवान भोले शंकर से ही प्रकट हुई है। भगवान शिव श्रद्धा और विश्वास के समग्र रूप हैं। जीवन की कोई भी प्रक्रिया तभी प्रारंभ होती है जब व्यक्ति में विश्वास और श्रद्धा का भाव होता है।

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भगवान शिव का साक्षात्कार करने के लिए एक बार ठीक से उनके स्वरूप का दर्शन करें। सभी लोग स्वर्ण मुकुट चाहते हैं। मुकुट प्रतिष्ठा का प्रतीक है। जटाएं झंझट जंजाल और क्लेशों का प्रतीक हैं। शिव भोले बाबा ने सृष्टि के सम्पूर्ण जंजालों को अपने शीश पर प्रतिष्ठित कर लिया। शिव इन झंझटों को भी आभूषण के रूप में स्वीकार करते हैं। शिव के शांत होने का कारण है क्योंकि इनके शीश पर शांत गंगा जी हैं। गंगा जी उज्जवलता, शीतलता, धवलता के सतत प्रवाह का प्रतीक हैं। गंगा के गुणों में निर्मलता एवं पवित्रता शामिल है जिसके विचारों में गंगा जी जैसे गुण होंगे वह सदैव शांत और गतिमान रहेगा। भगवान शिव के नेत्र निर्लिप्त हैं सुंदर हैं और विशाल हैं। 

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समुद्र मंथन के समय निकले सम्पूर्ण विष को जिसे न देवता लेना चाहते थे न राक्षस, अपने कंठ में समा लिया। शिव विषपान कर भी कंठ से जगत को सदैव श्री राम कथा का अमृतपान कराते हैं। चंद्र जैसे शीतल, निर्मल, उज्जवल विचारों वाले मन को अपने शीश पर प्रतिष्ठा देते हैं। 

सदैव श्मशान में विचरण और नंदी की सवारी करते हैं। श्मशान मृत्यु की याद दिलाता है जो प्रतिदिन मृत्यु को याद रखेगा वह अनेकों प्रकार के पापों से बच जाएगा। नंदी धर्म का प्रतीक है, सदैव धर्म के वाहन पर चलेंगे तो जीवन यात्रा सुखद और आनंदमयी होगी। भोले महादेव सब को समान दृष्टि से देखते हैं। वह जितने सरल हैं उतने ही रहस्यों के भंडार भी। आशुतोष भगवान अपने व्यक्त रूप में त्रिलोकी के तीनों देवताओं में ब्रह्मा और विष्णु के साथ रौद्र रूप में विराजमान हैं। यह त्रिदेव सृष्टि के आधार व सर्वोच्च शिखर हैं परंतु महादेव वास्तव में त्रिदेवों के स्वपिता हैं। शिवलिंग के रूप में पूजित हैं।

श्रावण यानि शिव को प्रसन्न करने का महीना। कहते हैं कि इस महीने भोले शिव की पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिलता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार श्रावण मास में भोले शिव को एक बिल्व पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्व पत्र अर्पण करने से कोटि बिल्व पत्रों के अर्पण का फल मिलता है। देवाधिदेव की स्तुति से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव का सावन मास धर्म का साक्षात रूप है। यह मास भोले के पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है। इस माह प्रतिदिन भगवान भोले बाबा के शिवलिंग रूप का जलाभिषेक अथवा प्रत्येक सोमवार रुद्राभिषेक करें।

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