Edited By Jyoti,Updated: 16 May, 2021 06:53 PM
जब भी किसी की मृत्यु होती है तो उसके बाद कई रीति रिवाजों का पालन किया जाता हैमान्यताओं के अनुसार तेरहवीं वाले दिन पूरे धर्म-कर्म से पिंडदान किया जाता है
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किसी की मृत्यु के बाद क्यों करते हैं तेरहवीं, क्या है इसे करने के पीछे का वैज्ञानिक कारण?
जब भी किसी की मृत्यु होती है तो उसके बाद कई रीति रिवाजों का पालन किया जाता हैमान्यताओं के अनुसार तेरहवीं वाले दिन पूरे धर्म-कर्म से पिंडदान किया जाता है और इस दिन 13 ब्राह्मणों को सात्विक भोजन करवाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों भोजन करवाने से उस मृत व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, साथ ही यमलोक के मार्ग में भी ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में इसकी इतनी महत्ता है।
चलिए अब आपको वैज्ञानिक कारण बताते हैं-
एक शोध में तेरहवी मनाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी सामने आया है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 13 से अधिक उदास रहता है तो वह डिप्रेशन की चपेट में लंबे समय तक कैद हो जाता है । जिससे फिर बाद में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इस शोध के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए किसी भी व्यक्ति को 13 दिन के भीतर शोक से निकलना जरुरी होता है। यह निष्कर्ष मानसिक स्वास्थ्य संस्थान यानि Mental Health Institute में हुए अध्ययन से निकला है।
आपको बता दें कि इस पर संस्थान ने WHO के इंटरनेशनल क्लासीफिकेशन ऑफ डिजीज और American Psychiatric Society द्वारा इस पर विस्तार से अध्ययन किया गया। अध्ययन के दौरान पता लगा कि मनुष्य के उदास रहने की अधिकतम सीमा 13 दिन होती है। इस 13 दिन की सीमा के अंदर अगर किसी व्यक्ति को उदासी ओर शोक से न निकाला जाए तो वो मानसिक रुप से रोगी हो सकता है। यही वजह है कि मृत्यु के बाद तेरहवीं के लिए 13 दिन सुनिश्चित किए गए हैं । इसी कारण से हिन्दू धर्म मे ये परंपरा को खास माना जाता है इसके बाद उस व्यक्ति के परिवारजनों को अपने रोजाना के कार्य आरंभ करने होते हैं।