Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Dec, 2023 01:22 PM
एक बालक अपनी बहन के साथ घूमने के लिए निकला। रास्ते में बहन सिर पर अमरूदों से भरी टोकरी लिए जा रही एक लड़की से टकरा गई। टोकरी सिर से गिर गई और
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Inspirational Context: एक बालक अपनी बहन के साथ घूमने के लिए निकला। रास्ते में बहन सिर पर अमरूदों से भरी टोकरी लिए जा रही एक लड़की से टकरा गई। टोकरी सिर से गिर गई और उसके सारे अमरूद खराब हो गए। वह अमरूदों को बेचने के लिए बाजार जा रही थी। ‘‘अब मैं अपने वृद्ध माता-पिता को क्या खिलाऊंगी, उन्हें कई दिनों तक भूखा रहना पड़ेगा।’’ यह कह कर लड़की रोने लगी।
इस पर बहन ने कहा, ‘‘भैया चलो हम लोग भाग चलें। यदि कोई आ गया तो हमें मार पड़ेगी और हर्जाना भी देना होगा। अभी तो हमें कोई देख भी नहीं रहा।’’
भाई बोला, “बहन, ऐसा मत कहो। जब लोग ऐसा मान लेते हैं कि यहां कोई नहीं देख रहा तभी तो पाप होते हैं।
इतना कह कर उस बालक ने अपनी जेब में रखे पैसे उस गरीब लड़की को दे दिए और कहा, “बहन, तू मेरे साथ चल। हमने गलती की है तो उसका दंड भी हमें सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। तुम्हारे फलों का पूरा मूल्य घर चलकर चुका दूंगा।”
तीनों घर पहुंचे। मां को पूरी घटना के बारे में पता चला तो वह गुस्से में बोली, “तुम लोग क्यों घूमने गए ? घर खर्च के लिए पैसे नहीं हैं, अब यह दंड कौन भुगतेगा?”
लड़के ने कहा, “मां मेरे खर्च के पैसे आप इस लड़की को दे दीजिए। मेरा स्कूल का नाश्ता बंद रहेगा, मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं। अपनी गलती के लिए प्रायश्चित मुझे ही करना चाहिए।
मां ने उसके डेढ़ महीने के जेब खर्च के पैसे उस लड़की को दे दिए। डेढ़ महीने तक स्कूल में उस लड़के को खाने को नहीं मिला पर उसने अप्रसन्नता प्रकट नहीं की। अपनी मानसिक त्रुटियों पर इतनी गंभीरता से विजय पाने वाला यही बालक आगे चलकर विख्यात फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट के नाम से प्रसिद्ध हुआ।