Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jan, 2024 10:57 AM
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की राजनीति में गहरी पैठ थी। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। 82 वर्ष की आयु में भी वह बेहद सक्रिय थे। रोजाना
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Inspirational Context: चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की राजनीति में गहरी पैठ थी। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। 82 वर्ष की आयु में भी वह बेहद सक्रिय थे। रोजाना समय पर उठते, आसन-प्राणायाम करते और फिर लिखने-पढ़ने बैठ जाते। एक दिन जब वह लेखन कार्य कर रहे थे, उनके पास दो बुजुर्ग आए।
एक बुजुर्ग ने कहा, “आपको थकान महसूस नहीं होती क्या ? मुझे देखो मैं तो अभी 65 साल का ही हुआ हूं, लेकिन अब शरीर साथ नहीं देता, थकान महसूस होती है।”
दूसरा बुजुर्ग बोला, “मैं भी इस बात से सहमत हूं।”
उनकी बातें सुनकर राजगोपालाचारी बोले, “आप लोगों में और मुझ में यही अंतर है कि आप स्वयं को बूढ़ा मानने लगे हैं, जबकि मैं अब भी अपने आपको ऊर्जा और जोश से भरपूर युवक मानता हूं।”
पहला बुजुर्ग व्यंग्य से बोला, “अच्छा फिर आप ही बताइए कि हम बूढ़े कब होते हैं ?”
राजगोपालाचारी बोले, “आप बूढ़े तब होते हैं जब जीवन में दिलचस्पी खो देते हैं, सपने देखना छोड़ देते हैं। जब तक व्यक्ति का मस्तिष्क नए विचारों और रुचियों के लिए खुला होता है तब तक वह युवा और स्फूर्तिवान बना रहता है।”
यह बात सुनकर दूसरा बुजुर्ग बोला, “बात तो आप सही कह रहे हैं। अक्सर बढ़ती आयु के कारण हम भूल जाते हैं कि जीवन का हर पल नया है और इसका लुत्फ उठाना चाहिए।”
राजगोपालाचारी ने कहा, “मैं बिल्कुल ऐसा ही सोचता हूं। मधुरता के साथ जिए गए पल मुझे बढ़ती उम्र का एहसास ही नहीं होने देते।” उनकी बात से दोनों बुजुर्ग सहमत हो गए और बोले, “आज से हम भी खुद को बूढ़ा नहीं समझेंगे और अपनी रुचि के काम करेंगे।”