Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Aug, 2023 09:34 AM
एक बार तैलंग स्वामी को तंग करने के इरादे से एक व्यक्ति ने दूध के बदले पानी में चूना घोलकर उनके दूध पीने के पात्र में रख दिया। स्वामी जी ने पात्र की ओर देखा तथा घोल को चुपचाप
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Inspirational Story: एक बार तैलंग स्वामी को तंग करने के इरादे से एक व्यक्ति ने दूध के बदले पानी में चूना घोलकर उनके दूध पीने के पात्र में रख दिया। स्वामी जी ने पात्र की ओर देखा तथा घोल को चुपचाप पी लिया। व्यक्ति सोचने लगा कि स्वामी जी के शरीर पर चूने का शीघ्र ही असर होगा मगर यह देखकर वह हैरान हो गया कि उन पर तो कोई असर नहीं हो रहा, बल्कि अब उसका स्वयं का जी घबराने लगा। उसके मन में कई विचार आने लगे। अपने गलत कार्य की चिंता के कारण वह दर्द से तड़पने लगा।
वह समझ गया कि यह स्वामी जी को तंग करने का परिणाम है। वह तुरंत स्वामी जी के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगा। स्वामी जी ने पास ही रखी स्लेट पर चूने की खड़ी से लिखा, चूने का पानी मैंने पिया है और इसका परिणाम तुझे भुगतना पड़ रहा है। इसका एक ही कारण है और वह यह है कि हम दोनों के शरीर में एक ही आत्मा का वास है। यदि दूसरे की आत्मा को किसी भी प्रकार का कष्ट दिया जाए तो वह कष्ट स्वयं को भी भोगना पड़ता है इसलिए दूसरों को कष्ट देने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए।
स्वामी जी ने उस व्यक्ति के सिर पर हाथ रखा और उसका दर्द चला गया। उसने स्वामी जी से माफी मांगी और कहा कि अब आगे से वह किसी को तंग नहीं करेगा। यह साधारणतया देखा गया है कि यदि हम दूसरे को परेशान करने के लिए कोई गलत काम करते हैं तो उसका दुष्परिणाम हमें भुगतना ही पड़ता है। हमें बेवजह किसी को तंग नहीं करना चाहिए क्योंकि जितना आप किसी दूसरे को परेशान करते हैं उससे अधिक दर्द प्रकृति आपको देगी।