Edited By Prachi Sharma,Updated: 26 Oct, 2025 02:01 PM

spirational Story: एक संन्यासी किसी किरयाने की दुकान पर आए। दुकान तो सारे सामान से भरी पड़ी थी, पर सामान छोटे-बड़े डिब्बों में रखा हुआ था। सामान तो संन्यासी ने लेना ही था पर क्या लेना है यह संन्यासी के दिमाग में आ ही नहीं रहा था।
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Inspirational Story: एक संन्यासी किसी किरयाने की दुकान पर आए। दुकान तो सारे सामान से भरी पड़ी थी, पर सामान छोटे-बड़े डिब्बों में रखा हुआ था। सामान तो संन्यासी ने लेना ही था पर क्या लेना है यह संन्यासी के दिमाग में आ ही नहीं रहा था।
संन्यासी ने अपने गुरु से सुन रखा था कि युक्ति से मुक्ति मिलती है। युक्ति यह अमल में लाई गई कि डिब्बों में क्या-क्या रखा है, यह पूछता हूं। बारी-बारी हर डिब्बे के बारे पूछता रहूंगा जो वस्तु मुझे चाहिए जब पंसारी वह वस्तु बताएगा तो मुझे याद आ जाएगा। जहां से डिब्बे शुरू होते थे, संन्यासी ने पूछना शुरू किया भैया इस डिब्बे में क्या है ?
दुकानदार बोला इसमें नमक है, संन्यासी ने पूछा नमक के साथ वाले डिब्बे में क्या है ? पंसारी बोला महात्मा जी इसमें हल्दी है।
इसी प्रकार संन्यासी पूछते गए और दुकान बड़े शिष्टाचार से बतलाता रहा। अंत में पीछे रखे डिब्बे का नम्बर आया। संन्यासी ने पूछा भाई इस अंतिम डिब्बे में क्या है ? दुकानदार बोला महात्मा जी उसमें राम-राम है।
संन्यासी ने बड़ी हैरानगी से पूछा, राम-राम ? भला यह राम-राम किस वस्तु का नाम है भाई ? मैंने तो इस नाम से कोई समान हो, कभी सुना ही नहीं।
दुकानदार संन्यासी के भोलेपन पर हंसकर बोला, महात्मन, और डिब्बों में तो भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं पर यह डिब्बा खाली है। हम खाली को खाली नहीं कह कर राम-राम कहते हैं।
संन्यासी की आंखें खुली की खुली रह गईं। जिस बात के लिए मैं दर-दर भटक रहा था, वो बात मुझे एक व्यापारी से समझ आ रही है।
सत्य है भाई, भरे हुए में राम को स्थान कहां।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या-द्वेष एवं भली-बुरी, सुख-दुख की बातों से जब दिलो-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा ?
राम यानी ईश्वर तो खाली अर्थात साफ-सुथरे मन में ही निवास करते हैं। एक छोटी-सी दुकान वाले ने संन्यासी को बहुत बड़ी बात समझा दी थी। आज संन्यासी आनंद में था।