Janki Jayanti: आज का दिन है खास, साथी की मंगल कामना के लिए अवश्य करें ये काम

Edited By Updated: 21 Feb, 2025 08:29 AM

janki jayanti

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में  मनाए जाने का विधान है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Janki Jayanti 2025: पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में  मनाए जाने का विधान है। माता सीता राजा जनक की पुत्री थी इसलिए उन्हें जानकी भी कहते हैं। अत: इस दिन को जानकी जयंती के रूप में मनाते हैं। बहुत सारे स्थानों पर इसे सीता अष्टमी के नाम से भी पुकारते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपना मनचाहा वर पा सकती हैं। माता सीता और भगवान राम की पूजा करके व्यक्ति हर तरह का सुख प्राप्त कर सकता है।

PunjabKesari Janki Jayanti

Janaki Jayanti vrat vidhi जानकी जयंती व्रत विधि: सुहागिनें अपने जीवनसाथी के लिए और कुंवारी महिलाएं अपने मनचाहे साथी को प्राप्त करने हेतु इस विधि से देवी सीता की करें पूजा

सुबह अपने साथी के साथ भगवान राम और सीता माता के मंदिर जाएं। माता जानकी को सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। वहीं बैठकर माता जानकी की जन्म कथा पढ़ें।  

शाम के समय भगवान राम और माता जानकी का ध्यान करते हुए घी का दीपक जलाएं। सुहागने अपने पति के सुखी-स्वस्थ जीवन की कामना करें। कुंवारी कन्याएं अपने इच्छित वर को प्राप्त करने के लिए देवी सीता से प्रार्थना करें।

कुंवारी कन्याएं जल्द से जल्द अपना मनचाहा वर पाकर विवाह करना चाहती हैं वह इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करें-

PunjabKesari Janki Jayanti

Mantra: ॐ जानकीवल्लभाय नमः।

Birth Story of mata janki माता जानकी की जन्म कथा: माता सीता के जन्म को लेकर बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार मिथिला में अन्न-जल का अकाल पड़ जाने के कारण राजा जनक बहुत परेशान थे। तब एक ऋषि के इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए राजा को हल चलाने तथा यज्ञ करने को कहा। उनकी आज्ञा मानकर राजा धरती जोतने लगे।
धरती जोतते समय उन्हें एक बहुत सुन्दर कन्या मिली। कोई संतान न होने के कारण उन्होंने उस कन्या को गोद ले लिया और कन्या को सीता का नाम दिया।

PunjabKesari Janki Jayanti

Sita mata janam Katha सीता माता के जन्म से जुड़ी एक अन्य कथा: किवदंतियों के अनुसार माता सीता लंकापति रावण और मंदोदरी की पुत्री थी। कथा के अनुसार सीता जी वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थी। रावण वेदवती को देखकर मोहित हो गया। ये देखकर वेदवती ने रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी।

कुछ समय बाद रावण के घर एक कन्या का जन्म हुआ तब रावण ने भयभीत होकर उस कन्या को सागर में फेंक दिया। जिसके बाद राजा जनक और माता सुनैना ने उस कन्या को गोद ले लिया।


 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!