Jivitputrika Vrat: संतान सुख की चाह है तो जीवित्पुत्रिका व्रत पर रखें इन बातों का ध्यान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Oct, 2023 07:44 AM

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पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जिउतिया, जितिया

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Jivitputrika Vrat 2023: पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जिउतिया, जितिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह व्रत 6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। सनातन धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है। महिलाएं संतान प्राप्ति, संतान सुख, संतान की अच्छी सेहत और सुरक्षा के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस व्रत के दौरान कुछ मंत्रों का जाप करने, कुछ सावधानियां और नियमों का पालन करने से संतान के सभी कष्टों का नाश होता है। सूनी गोद जल्दी भरती है और घर में बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं।

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Chant these mantras for the desire to have a child संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए करें संतान गोपाल मंत्र का जाप
संतान गोपाल मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः

संतान गोपाल मंत्र से संबंधित विशेष नियम
संतान गोपाल मंत्र का जाप हर मां को प्रतिदिन करना चाहिए। संभव न हो तो जीवित्पुत्रिका व्रत वाले दिन कम से कम 1,25,000 बार इस मंत्र का जाप करें। सुबह स्नान के बाद संतान गोपाल मंत्र के जाप करना का सर्वोत्तम समय है।

Take these 5 precautions during Jivitputrika fast जीवित्पुत्रिका व्रत में बरतें यह 5 सावधानी
छठ के व्रत की तरह ही जितिया व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय किया जाता है। व्रत से एक दिन पहले ही व्रती स्नान और पूजा-पाठ करके भोजन ग्रहण करते हैं। फिर अगले दिन निर्जला व्रत रखते हैं। इस व्रत के नियम के अनुसार नहाय-खाय के दिन लहसुन-प्याज, मांसाहार या तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।

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जितिया व्रत का एक नियम है कि एक बार अगर इस व्रत का आरंभ कर दिया है तो हर साल इस को रखना ही पड़ेगा। इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जा सकता। माना जाता है कि पहले सास इस व्रत को करती है और बाद में घर की बहू द्वारा इस व्रत को जारी रखा जाता है।

अन्य व्रतों की तरह ही इस व्रत में भी ब्रह्मचर्य  का पालन किया जाता है। इसके साथ ही मन में भी किसी के लिए ईर्ष्या का भाव नहीं रखना चाहिए। इस व्रत के दौरान लड़ाई-झगड़े से भी दूर रहना बेहतर होता है।

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इस व्रते के दौरान खान-पान को भी वर्जित माना जाता है। इसलिए इस व्रत को निर्जला रखा जाता है और पानी की एक बूंद भी  ग्रहण नहीं की जानी चाहिए।  

जितिया व्रत पूरे तीन दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। तीसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान और पूजा-पाठ करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

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