कबीर जयंती: जग का कर गया बेड़ा पार, मस्ताना योगी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jun, 2020 10:47 AM

kabir jayanti

कबीर साहब का आविर्भाव वि.स. 1456 ईस्वी सन् 1398 को ज्येष्ठ पूर्णिमा को सोमवार के दिन हुआ। इसी दिन काशी (बनारस) के रहने वाले नीरू अपनी नव-विवाहिता नीमा का गौना कराकर अपने घर लौट रहे थे। लहरतारा सरोवर के पास से गुजरते समय नीमा को प्यास लगी और

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Kabir Das Jayanti 2020: कबीर साहब का आविर्भाव वि.स. 1456 ईस्वी सन् 1398 को ज्येष्ठ पूर्णिमा को सोमवार के दिन हुआ। इसी दिन काशी (बनारस) के रहने वाले नीरू अपनी नव-विवाहिता नीमा का गौना कराकर अपने घर लौट रहे थे। लहरतारा सरोवर के पास से गुजरते समय नीमा को प्यास लगी और पानी पीने के लिए तालाब पर गई। नीमा अभी पानी होंठों पर लगाने ही लगी थीं कि बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी और देखा तो नवजात शिशु कमल के फूल पर थे, जो आगे चल कर कबीर साहब हुए।

PunjabKesari Kabir Das Jayanti 2020

यह स्थान कबीर जी का प्राकट्य स्थल है जिसके दर्शनों के लिए हर धर्म और देश-विदेश से लोग आते हैं। मूलगादी कबीर चौरामठ कबीर साहब की साधना स्थली व कर्मभूमि है और लहरतारा का मंदिर प्राकट्य स्थल है। गंगा पहले यहीं से गुजरती थी और फिर गंगा का रुख बदला और जो लहरें पीछे छूटीं तो बना तालाब लहरतारा। कबीर जी के माता-पिता कपड़े बुनने का काम करते थे। कबीर जी ने बड़े होकर यही व्यवसाय अपनाया और कपड़ा बुनने का कार्य किया। कबीर साहब सत्संग की पाठशाला चलाते थे और भजन-कीर्तन भी करते थे जिसे सुनने के लिए श्रद्धालुओं में लगन व उतावलापन रहता था। कबीर साहब ने जन्म के बारे में अपनी बाणी में संदेश दिया।

एक जोति सब उतपना, कौन ब्राह्मण कौन सूदां 
सब प्राणी एक ही परम ज्योति से उत्पन्न हुए। न कोई उच्च है न कोई नीच, न कोई उत्तम है न मंदा।
कबीर मेरी जाति को सभु को हसनेहार बलिहारी इस जाति कऊ जिहि जपिओ सिरजन हार।

मेरी नीची जात को लेकर लोग तिरस्कार और उपहास करते हैं लेकिन मैं तो इस जाति को उत्तम मानता हूं क्योंकि इसमें जन्म पाकर परमात्मा की भक्ति की है।

साखी आंखी ज्ञान की, समुझ देख मन माहि। बिन साखी संसार का झगड़ा छूटत नाहि।

कबीर साहब ने दुनिया को जानने और समझने के लिए ज्ञान का मार्ग धारण करने को कहा। अज्ञानता ही मतभेद व झगड़े का कारण है। अज्ञानता मिट जाए तो संसार में झगड़ा खत्म हो जाएगा। इस अज्ञानता व अंधकार के लिए कबीर जी ने बाणी को अपनाने के लिए कहा जिससे इंसान मुक्ति प्राप्त कर सके।

PunjabKesari Kabir Das Jayanti 2020

बेगर-बेगर नाम धराये, एक माटी के भांडे 
एक ही मिट्टी के बने पुतलों में कोई खुद को एक जात का कहता है तो कोई दूसरी का।

तुम्ह जिनि जानों गीत है, यह निज ब्रह्मा विचार।
केवल कहि समझाइया आत्म साधन सार।


कबीर जी ने अपनी बाणी को गीत न कह कर ब्रह्म विचार कहा है। कबीर साहब ने ज्ञान मार्ग से सच को पहचानने का रास्ता दिखाया। कबीर साहब का ज्ञान मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार से परे है।
प्रेमी ढूंढत मैं फिरौं, प्रेमी मिलै न कोई। प्रेमी कौ प्रेमी मिले, तब सब विष अमृत होई।

PunjabKesari Kabir Das Jayanti 2020
कबीर साहब कहते हैं कि मैं ईश्वर-प्रेमी को ढूंढता फिर रहा हूं लेकिन मुझे सच्चा ईश्वर-प्रेमी कोई नहीं मिला। अगर एक प्रेमी दूसरे ईश्वर-प्रेमी से मिल जाता है तो विषय वासनाओं रूपी सम्पूर्ण सांसारिक विष प्रेम रूपी अमृत में बदल जाता है।
हिन्दू कहूं तो मैं नहीं, मुसलमान भी नांहि। पांच तत्व का पूतला, गैबी खेलैं मांहि।

मैं न तो हिन्दू हूं, न मुसलमान। मैं तो पांच तत्व का पुतला हूं जो ईश्वर के द्वारा बनाया गया हूं। वहीं अदृश्य पुरुष सबसे खेल रहा है।
पोथी पढि़-पढि़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय। ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

पोथी पढ़-पढ़ कर सारा जग मर गया, पर कोई पंडित नहीं हुआ। जो प्रेम का एक अक्षर पढ़ लेता है वही पंडित होता है।
PunjabKesari Kabir Das Jayanti 2020

 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!