Edited By Sarita Thapa,Updated: 05 Sep, 2025 06:00 AM

Kaleshwar Mahadev Temple: हिमाचल प्रदेश की गोद में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से भी बेहद खास माना जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Kaleshwar Mahadev Temple: हिमाचल प्रदेश की गोद में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से भी बेहद खास माना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव और देवी काली के संयुक्त स्वरूप को समर्पित है, जिसे "कालेश्वर" कहा जाता है। इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी, जो महाभारत के प्रमुख पात्र थे। मंदिर के आसपास की जगहें और मंदिर की वास्तुकला भी इसकी प्राचीनता और पौराणिक महत्व को दर्शाती हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी हिमाचल का एक आकर्षक स्थल है, जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। तो आइए जानते हैं इस के शिवलिंग से जुड़ी अनोखी मान्यता के बारे में-

शिवलिंग को लेकर क्या है मान्यताएं
कालेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग को लेकर एक अनोखी और रोचक मान्यता जुड़ी हुई है। माना जाता है कि यह शिवलिंग कालेश्वर भगवान के रूप में मां काली के साथ जुड़ा हुआ है, जो शक्ति और तपस्या का प्रतीक है। यहां के स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है और हर साल बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।

कालेश्वर महादेव और पांडवों का संबंध
पांडवों के वनवास के दौरान, उन्होंने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी ताकि वे अपने संघर्षों में उन्हें शक्ति और सफलता प्रदान करें। कालेश्वर महादेव का मंदिर भी उन्हीं दिनों में पांडवों द्वारा स्थापित किया हुआ माना जाता है। यहां भगवान शिव को कालेश्वर के रूप में पूजा जाता है, जिसका मतलब है काल के भगवान यानी समय और मृत्यु के स्वामी।
कहा जाता है कि पांडवों ने अपनी कठिनाइयों और युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए भगवान शिव की विशेष आराधना की थी। इसी वजह से इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। कालेश्वर महादेव की पूजा से पांडवों को मनोबल मिला और उन्होंने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अपने साहस को मजबूत किया।
