छोड़ देंगे अपनी ये आदत, लाइफ में रहेंगे सदा हैप्पी

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2017 10:45 AM

leave this habit you will be happy

बहुत समय पहले की बात है, धार्मिक विचारों वाले एक राजा को मिलने कोई संत आए। राजा प्रसन्न हो गया।

बहुत समय पहले की बात है, धार्मिक विचारों वाले एक राजा को मिलने कोई संत आए। राजा प्रसन्न हो गया। भाव-विभोर और आंखों में खुशी के आंसू के साथ राजा बोला, ‘‘मेरी इच्छा है कि आज आपके मन की कोई भी मुराद मैं पूरी करूं। बताइए आपको क्या उपहार चाहिए?’’


संत असमंजस में पड़ गए। उन्होंने कहा, ‘‘आप स्वयं अपने मन से जो भी उपहार देंगे, वह मैं स्वीकार कर लूंगा।’’ 


राजा ने एक पल सोचा और तपस्वी के सामने अपने राज्य के समर्पण की इच्छा जाहिर की। संत ने कहा, ‘‘राज्य तो जनता का है। राजा केवल उसका संरक्षक होता है।’’


तब राजा ने दूसरे विकल्प के रूप में महल और सवारी आदि त्यागने की बात कही। तपस्वी बोले, ‘‘राजन, यह भी जनता का है। ये तो आपके राज-काज चलाने की सुविधा के लिए हैं।’’


तब राजा ने तीसरे विकल्प के तौर पर अपना शरीर दान करने की इच्छा जाहिर की। तब संत ने कहा, ‘‘नहीं राजन, यह शरीर तो आपके बच्चों और पत्नी की अमानत है। आप इसे कैसे दान कर सकते हैं?’’ 


राजा परेशान हो गया। तब संत ने कहा, ‘‘राजन, आप अपने मन के अहंकार का त्याग करें। अहंकार ही सबसे सख्त बंधन होता है।’’


राजा की आंखें खुल गईं, उन्होंने अगले दिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही अहंकार का त्याग कर केवल प्रजा की सेवा का काम शुरू कर दिया। तब उसे मानसिक शांति मिली। तात्पर्य यह कि अहंकार एक ऐसा भाव है जो जब तक रहता है, व्यक्ति अपनी उन्नति नहीं कर सकता। इसलिए अहंकार का त्याग करें और प्रसन्न रहें।

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