Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Sep, 2025 05:00 AM

Maa Bhuvaneshwari Devi Temple: उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनमें नीलकंठ महादेव मंदिर सबसे प्रसिद्ध है। यह मंदिर हमेशा भक्तों से भरा रहता है, खासकर सावन के महीने में यहां भारी भीड़ लगती है। हालांकि,...
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Maa Bhuvaneshwari Devi Temple: उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनमें नीलकंठ महादेव मंदिर सबसे प्रसिद्ध है। यह मंदिर हमेशा भक्तों से भरा रहता है, खासकर सावन के महीने में यहां भारी भीड़ लगती है। हालांकि, नीलकंठ महादेव मंदिर के करीब ही एक ऐसा मंदिर भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर। यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है और इसका अपना एक खास इतिहास जुड़ा हुआ है।
नीलकंठ महादेव मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर की कहानी बेहद रोचक है। मंदिर के पुजारी जगदीश प्रपन्नाचार्य के अनुसार, इस जगह का इतिहास नीलकंठ महादेव मंदिर से गहराई से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यहां माता पार्वती ने लगभग 60,000 साल तक तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के बाद इस स्थान पर मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बनवाया गया।
समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था, तो भगवान शिव ने उसे पी लिया था। उसके बाद वे ऐसी जगह की तलाश में थे, जहां उन्हें ठंडी और शीतल हवा मिल सके। इसी तलाश में वे मणिकूट पर्वत पहुंचे, जहां उन्हें मनचाही शांति और ठंडक मिली। यही वह जगह है, जहां भगवान शिव ने करीब 60,000 वर्षों तक ध्यान लगाया। इसीलिए इसे नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

जब माता पार्वती को यह पता चला, तो वे भी मणिकूट पर्वत पर पहुंचीं और भगवान शिव के पास तपस्या करने लगीं। दोनों की तपस्या एक ही स्थान पर हुई, और 60,000 साल बाद जब भगवान शिव तप से उठे, तो माता पार्वती ने भी अपनी तपस्या पूरी की और वे दोनों कैलाश लौट गए। उस स्थान पर ही मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बनवाया गया है, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
