Maa Gayatri Chalisa: मनोकामनाओं की पूर्ति का मंत्र, नियमित करें मां गायत्री चालीसा का पाठ

Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 May, 2025 07:40 AM

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मां गायत्री को वेद माता के रूप में जाना जाता है। वेदों में गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली और पवित्र मंत्र माना गया है। गायत्री माता की उपासना से न केवल आत्मबल में वृद्धि होती है बल्कि सभी प्रकार की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं

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Maa Gayatri Chalisa: मां गायत्री को वेद माता के रूप में जाना जाता है। वेदों में गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली और पवित्र मंत्र माना गया है। गायत्री माता की उपासना से न केवल आत्मबल में वृद्धि होती है बल्कि सभी प्रकार की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। गायत्री चालीसा का नित्य पाठ जीवन में सकारात्मकता लाता है और दुखों का नाश करता है। मां गायत्री को बुद्धि, ज्ञान और पवित्रता की देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी उपासना से व्यक्ति को ज्ञान, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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गायत्री चालीसा का पाठ

ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड।
शान्ति कान्ति जागृति प्रगति रचना शक्ति अखण्ड॥
जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम॥
भूर्भुवः स्वः ऊं युत जननी।
गायत्री नित कलिमल दहनी॥
अक्षर चौबीस परम पुनीता।
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता॥

शाश्वत सतोगुणी सत रूपा।
सत्य सनातन सुधा अनूपा॥
हंसा रूढ़ सितंबर धारी।
स्वर्ण कान्ति शुचि गगन बिहारी॥

पुस्तक पुष्प कमण्डलु माला।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला॥
ध्यान धरत पुलकित हिय होई।

सुख उपजत दुख दुर्मति खोई॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया।
निराकार की अद्भुत माया॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई।
तरै सकल संकट सोई॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली॥
तुम्हरी महिमा पार न पावैं।
जो शारद शत मुख गुन गावैं॥

चार वेद की मात पुनीता।
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता॥

महामंत्र जितने जग माहीं।
कोऊ गायत्री सम नाहीं॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै।
आलस पाप अविद्या नासै॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी।
कालरात्रि वरदा कल्याणी॥

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते।
तुम सों पावें सुरता तेते॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे॥

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महिमा अपरम्पार तुम्हारी।
जय जय जय त्रिपदा भय हारी॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना।
तुम सम अधिक न जग में आना॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा।
तुमहिं पाय कछु रहै न कलेसा॥
जानत तुमहिं तुमहिं है जाई।
पारस परसि कुधातु सुहाई॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई।
माता तुम सब ठौर समाई॥
ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरे।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे॥

सकल सृष्टि की प्राण विधाता।
पालक पोषक नाशक त्राता॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी।
तुम सन तरे पातकी भारी॥

जापर कृपा तुम्हारी होई।
तापर कृपा करें सब कोई॥
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें।
रोगी रोग रहित हो जावें॥

दरिद्र मिटै कटै सब पीरा।
नाशै दुख हरै भव भीरा॥
गृह कलेश चित चिंता भारी।
नासै गायत्री भय हारी॥

संतति हीन सुसंतति पावें।
सुख सम्पत्ति युत मोद मनावें॥
भूत पिशाच सबै भय खावें।
यम के दूत निकट नहिं आवें॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई।
अछत सुहाग सदा सुखदाई॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी।
तुम सम और दयालु न दानी॥
जो सतगुरु सो दीक्षा पावें।
सो साधन को सफल बनावें॥

सुमिरन करै सुरूचि बड़भागी।
लहै मनोरथ गृही विरागी॥
अष्ट सिद्धि नव निधि की दाता।
सब समर्थ गायत्री माता॥

ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी।
आरत अर्थी चिंतित भोगी॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें।
सो सो मन वांछित फल पावें॥

बल बुधि विद्या शील स्वभाऊ।
धन वैभव यश तेज उछाहू॥
सकल बढ़ें उपजें सुख नाना।
जे यह पाठ करै धरि ध्याना॥

दोहा
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करे जो कोई।
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होई॥

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Benefits of reciting Gayatri Chalisa गायत्री चालीसा पाठ करने के फायदे 

गायत्री चालीसा का नियमित पाठ आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। यह मानसिक विकारों को दूर करता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है। कई साधक मानते हैं कि इस पाठ से पापों का नाश होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। गायत्री चालीसा का नित्य पाठ जीवन को नई दिशा और सकारात्मकता प्रदान करता है। जो भी श्रद्धालु इसका नित्य पाठ करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मां गायत्री की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

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