Mangala Gauri Vrat 2021: मनचाहा साथी पाने का आज है Golden chance

Edited By Updated: 20 Jul, 2021 09:15 AM

mangala gauri vrat

चातुर्मास में शिव परिवार की पूजा जाती है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, यह बात तो सभी जानते होंगे परंतु बहुत कम लोगों को पता है कि सावन के माह में माता पार्वती के

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Mangala Gauri Vrat 2021: चातुर्मास में शिव परिवार की पूजा जाती है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, यह बात तो सभी जानते होंगे परंतु बहुत कम लोगों को पता है कि सावन के माह में माता पार्वती के मंगल रूप की पूजा की जाती है। जिस तरह सावन का हर सोमवार भगवान शिव के व्रत के लिए समर्पित है। उसी प्रकार सावन का हर मंगलवार माता गौरी के मंगला गौरी रूप को समर्पित है। हर सावन माह में कम से कम चार से पांच मंगला गौरी व्रत पढ़ते हैं। सावन के प्रत्येक मंगलवार को कुंवारी लड़कियां व सुहागिन स्त्रियां व्रत करके गौरी माता से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

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Gauri Puja 2021: मंगला गौरी का अर्थ है माता पार्वती का वह मंगल रूप जिसका ध्यान करने से और पूजन करने से हर व्यक्ति का मंगल ही मंगल होता है। सावन का महीना माता पार्वती के लिए भी उतना ही प्रिय है जितना कि भगवान शिव को है। माता पार्वती ने तपस्या करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। मंगला गौरी का व्रत करने से एक तो अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है दूसरे अपने मनवांछित वर की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने के साथ-साथ कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे कि माता गौरी शीघ्र प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूरी करती हैं। सुहागन महिलाओं का सौभाग्य अखण्ट रहता है और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा साथी प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, मंगला गौरी व्रत के महत्व के बारे में और कुछ खास पूजा विधियां-

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Mangla gauri vrat for unmarried in hindi: माता गौरी के मंगल रूप का पूजन करते समय खास ध्यान रखें की इनके पूजन में लाल वस्त्रों का इस्तेमाल करें। लाल रंग का आसन, लाल रंग का ही मां का चोला, श्रृंगार भी लाल रंग का ही होना चाहिए। माता को कुमकुम अर्पित करते हुए अपने मनचाहे साथी के साथ अच्छे भविष्य और सुख की कामना करें।

इस व्रत को नियम से करने से पति की आयु लंबी होती है एव दांपत्य जीवन में अथाह प्रेम बना रहता है। जो कुंवारी कन्या इस व्रत को करती है। उन्हें भी अधिक प्रेम करने वाला जीवनसाथी प्राप्त होता है। माता मंगला गौरी को सोलह शृंगार चढ़ाएं। इसके साथ-साथ माता के आगे आटे के दीपक को प्रज्वलित करके इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

मंत्र- ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

व्रत के प्रभाव से जिनके विवाह में देरी हो रही है। उनका विवाह शीघ्र हो जाता है। माता का पूजन करते समय उन्हें लाल पुष्पों की माला चढ़ाएं। ऐसा करने से जन्मों के दुर्भाग्य का नाश होता है।

दक्षिण दिशा की तरफ माता भगवती के लाल चरण अपने घर के तरफ आते हुए चिन्हित करें। माता के चिन्ह के रूप में दक्षिण दिशा में सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं।

आज के दिन जिस घर में माता के मंगल रूप की पूजा होती है, उस घर में मंगल कार्य शीघ्र होते हैं। 

नीलम
neelamkataria0012@gmail.com  

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