Margashirsha Month 2025: 1 महीने तक करना होगा ये काम, फिर देखें Good Luck कभी नहीं छोड़ेगा आपका साथ

Edited By Updated: 06 Nov, 2025 07:20 AM

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Margashirsha Month 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष या अगहन मास को अत्यंत पवित्र और शुभ महीना माना गया है। इस काल को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और आत्मिक साधना के लिए श्रेष्ठ कहा गया है। इस महीने में साधक यदि नियमपूर्वक स्नान, दान और पूजा करता है, तो...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Margashirsha Month 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष या अगहन मास को अत्यंत पवित्र और शुभ महीना माना गया है। इस काल को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और आत्मिक साधना के लिए श्रेष्ठ कहा गया है। इस महीने में साधक यदि नियमपूर्वक स्नान, दान और पूजा करता है, तो उसे दिव्य कृपा और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह महीना मन, वचन और कर्म की शुद्धि का प्रतीक है, जिसमें सच्ची भक्ति करने वाला व्यक्ति जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय आशीर्वाद पाता है।

Margashirsha Month 2025: आरंभ होने वाला है श्रीकृष्ण का प्रिय मार्गशीर्ष माह, पढ़ें पूरी Information

PunjabKesari Margashirsha Month
मार्गशीर्ष मास वह काल है जब भगवान श्रीकृष्ण की कृपा सहजता से प्राप्त होती है। इस माह में सात निषेधों का पालन और सात सद्कर्मों का आचरण जीवन में संतुलन, समृद्धि और आध्यात्मिक प्रकाश लाता है। जो व्यक्ति इस मास का सम्मान करता है, उसके जीवन में ईश्वरीय कृपा स्थायी रहती है।

Margashirsha Month 2025 start & End Date मार्गशीर्ष मास 2025 कब से कब तक
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास 2025 की शुरुआत 6 नवंबर, गुरुवार से होगी और 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ समाप्त होगी। इस अवधि को “सत्य और साधना का मास” कहा गया है। सनातन परंपरा के अनुसार इसी पावन समय में कश्यप ऋषि ने कश्मीर की रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि इस माह में किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है।

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What should one do during the month of Margashirsha मार्गशीर्ष मास में क्या करना चाहिए
पवित्र स्नान और जप:

भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था कि जो व्यक्ति इस मास में यमुना स्नान करता है, उसे सहज ही दिव्य कृपा प्राप्त होती है। अतः प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी संभव न हो, तो जल में तुलसी पत्र डालकर स्नान करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।

विष्णु और कृष्ण की आराधना:
इस माह में विष्णुसहस्त्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता या गजेन्द्रमोक्ष स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ है। इससे मन की शांति, पापों का क्षय और आध्यात्मिक जागरण होता है।

दान और सेवा:
स्नान के बाद ब्राह्मण, जरूरतमंद, गाय या गौशाला में अन्न, वस्त्र, गुड़, तिल या धन का दान करें। यह कर्म कुबेर कृपा और लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

तुलसी और दीपदान:
प्रतिदिन शाम को तुलसी माता के पास देशी घी का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल अर्पित करें। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

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What should not be done during the month of Margashirsha मार्गशीर्ष मास में क्या नहीं करना चाहिए
तामसिक भोजन से परहेज करें:

इस मास में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी चीजों का सेवन वर्जित है। ये पदार्थ मन की शुद्धि और भक्ति भाव को कम करते हैं।

जीरे का सेवन न करें:
शास्त्रों में इस मास में जीरा खाना अशुभ माना गया है, क्योंकि यह व्रत और पूजा की पवित्रता को बाधित करता है।

अहंकार और छल-कपट से बचें:
मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। अतः इस अवधि में अहंकार, ईर्ष्या, झूठ, आलस्य और दूसरों को ठगने से बचना चाहिए।

निंदा और अपशब्द से दूर रहें:
इस माह में किसी की निंदा न करें और न ही कटु वचन बोलें। ऐसा करने से पुण्य क्षीण होता है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

गुरु और माता-पिता का अपमान न करें:
यह महीना श्रद्धा का है। अतः बड़ों का आदर करें, उनके आशीर्वाद को ईश्वरीय कृपा समझें।

पितरों की आलोचना न करें:
पितरों के प्रति कृतज्ञ रहें। उनके लिए तर्पण, दीपदान और श्राद्ध कर्म करें। इससे कुल में सुख और समृद्धि बनी रहती है।

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