Paush Month 2025 Upay: 5 दिसंबर से शुरू होगा पौष माह, Good Luck के लिए 1 महीना करें ये काम

Edited By Updated: 04 Dec, 2025 03:36 PM

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Paush Month 2025 Remedies: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 का पौष मास 5 दिसंबर से आरंभ होकर 3 जनवरी 2025 को समाप्त होगा। यह महीना हेमंत ऋतु के अंतर्गत आता है, इसलिए इस दौरान शीत का प्रभाव अधिक रहता है। धार्मिक मान्यताओं में पौष मास का विशेष महत्व...

Paush Month 2025 Remedies: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 का पौष मास 5 दिसंबर से आरंभ होकर 3 जनवरी 2025 को समाप्त होगा। यह महीना हेमंत ऋतु के अंतर्गत आता है, इसलिए इस दौरान शीत का प्रभाव अधिक रहता है। धार्मिक मान्यताओं में पौष मास का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि इसी अवधि में सूर्य की गति मंद पड़ने से खरमास लगता है। इस कारण से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य पूरी तरह वर्जित रहते हैं। हालांकि, इस महीने में सूर्यदेव की उपासना और कुछ विशेष उपाय करने से भाग्य प्रबल होने और कार्यों में सफलता मिलने की मान्यता है।

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Religious significance of the month of Paush पौष माह का धार्मिक महत्व
पौष मास को हिंदू कैलेंडर में दसवें महीने के रूप में माना जाता है। इस दौरान सूर्य की उपासना अत्यंत फलदायी मानी गई है। पितरों की शांति तथा उनकी कृपा पाने के लिए इस महीने में पिंडदान और श्राद्ध कर्म भी शुभ बताए गए हैं।

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5 important measures to be taken in the month of Paush पौष माह में किए जाने वाले 5 प्रमुख उपाय
सूर्यदेव को अर्घ्य देना

पौष मास में प्रतिदिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। अर्घ्य के जल में लाल पुष्प, लाल चंदन और अक्षत मिलाना शुभ माना जाता है। सूर्य मंत्र जैसे ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करने से सम्मान बढ़ता है। कार्यों में सफलता मिलती है। पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

जरूरतमंदों को गर्म वस्त्र दान
चूंकि यह समय कड़ाके की ठंड का होता है इसलिए गर्म कपड़े, कंबल, गुड़ आदि का दान अत्यंत पुण्यदायी बताया गया है। इसका फल सुख-शांति में वृद्धि और सूर्यदेव की कृपा के रूप में मिलता है।

सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग
पौष मास में सूर्यदेव को तिल और चावल से बनी खिचड़ी का भोग लगाने की परंपरा है। इस अवधि में लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना गया है, क्योंकि ये सूर्यदेव के प्रिय रंग हैं। ऐसा करने से भाग्य प्रबल होने की मान्यता है।

रविवार का व्रत और नमक का त्याग
पौष माह के प्रत्येक रविवार को व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना गया है। व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें। केवल मीठे या फलाहार का सेवन करें। इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत मानी जाती है।

नए कार्यों की शुरुआत न करें
पौष माह में लगने वाले खरमास के कारण विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत जैसे कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवधि में नया कार्य आरंभ करने से सफलता में बाधा आ सकती है। इसलिए नए कार्यों को अगले महीने के लिए स्थगित करना उचित माना जाता है।

पौष माह आध्यात्मिक ऊर्जा, तप और सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने का समय माना जाता है। इस दौरान यदि व्यक्ति नियमित उपासना, दान और व्रत विधि से करे तो जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और सम्मान की वृद्धि होती है।

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