Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 May, 2019 01:11 PM
मौन व्रत अपने आप में एक अनूठा व्रत है। इस व्रत का प्रभाव लंबे समय तक रहता है। इसका पालन करने के लिए किसी खास दिन, तिथि व क्षण की अवश्यकता नहीं होती बल्कि कभी भी समय की मर्यादा और
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
मौन व्रत अपने आप में एक अनूठा व्रत है। इस व्रत का प्रभाव लंबे समय तक रहता है। इसका पालन करने के लिए किसी खास दिन, तिथि व क्षण की अवश्यकता नहीं होती बल्कि कभी भी समय की मर्यादा और उसके अंदर बंधकर किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात जो लोग भूखे रहने से कतराते हैं, उनके लिए तो ये व्रत किसी वरदान से कम नहीं।
एक बार एक मछुआरा अपना कांटा डाले तालाब के किनारे बैठा था। काफी समय के बाद भी कोई मछली उसके कांटे में नहीं फंसी थी। उसने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं है, मैंने कांटा गलत जगह डाला हो और यहां कोई मछली ही न हो। उसने तालाब में झांका तो देखा कि उसके कांटे के आस-पास बहुत-सी मछलियां थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी सारी मछलियां होने के बाद भी कोई मछली फंसी क्यों नहीं, जबकि कांटे में दाना भी लगा है। क्या कारण हो सकता है?
वह ऐसा सोच ही रहा था कि एक राह चलते नागरिक ने उससे कहा-लगता है भैया यहां पर मछली मारने बहुत दिनों के बाद आए हो। इस तालाब की मछलियां अब कांटे में नहीं फंसतीं। इस पर उसने हैरत से पूछा-क्यों, ऐसा क्या हुआ है यहां?
राह चलता नागरिक बोला-पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत आकर ठहरे थे। उन्होंने यहां ‘मौन की महत्ता’ पर प्रवचन दिए थे। उनकी वाणी में इतना आकर्षण था कि जब वह प्रवचन देते थे, तो सारी मछलियां बड़े ध्यान से सुनतीं। यह उनके प्रवचनों का ही असर है, कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फंसाने के लिए कांटा डालकर बैठता है तो ये ‘मौन’ धारण कर लेती हैं। जब मछली मुंह खोलेगी ही नहीं, तो कांटे में कैसे फंसेगी? इसलिए बेहतर यही है कि आप कहीं और जाकर कांटा डालो।
उसकी बात मछुआरे की समझ में आ गई और वह वहां से चला गया। कितनी सही बात है यह, जब मुंह खोलोगे ही नहीं तो फंसोगे कैसे? यह बात मछलियों की तरह उन व्यक्तियों को भी समझ लेनी चाहिए, जो अपनी बक-बक करने की आदत के चलते स्थान और समय का ध्यान रखे बिना अपना मुंह खोलकर मुसीबत में फंस जाते हैं। गला काट प्रतियोगिता के इस युग में इस बात का महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब न जाने कौन अपना कांटा डाले आपको फंसाने के चक्कर में हो। जैसे ही आपने मुंह खोला कि आप उसमें फंस गए और जिंदगी भर पछताने के अलावा आपके पास कोई चारा नहीं बचेगा।