जानें, उपयोगी व बेकार की वस्तुओं का अंतर

Edited By Updated: 04 Apr, 2022 03:16 PM

motivational concept in hindi

एक बार किसी संत ने एक सम्राट का अतिथि बनना स्वीकार किया। राजा ने उन्हें सत्कारपूर्वक कई दिन ठहराया, सत्संग का लाभ लिया। साथ ही राजमहल के अनेक बहुमूल्य पदार्थ दिखाए।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार किसी संत ने एक सम्राट का अतिथि बनना स्वीकार किया। राजा ने उन्हें सत्कारपूर्वक कई दिन ठहराया, सत्संग का लाभ लिया। साथ ही राजमहल के अनेक बहुमूल्य पदार्थ दिखाए। रत्नभंडार में लाए और रखे हुए मणियों का परिचय कराने लगे। संत मौन रहकर यह सब सुनते रहे।

एक बार उसी संत ने राजा को अपनी कुटिया पर आमंत्रित किया। समयानुसार वह पहुंचे भी। स्वागत के उपरांत संत ने आश्रम की छोटी-छोटी वस्तुओं को दिखाना आरंभ कर दिया। सस्ती और सामान्य वस्तुएं देखने में राजा को रुचि नहीं थी तो भी वे शिष्टाचारवश उन्हें उपेक्षापूर्वक जैसे-तैसे देखते रहे।

देर तक जिसकी उपयोगिता बताई गई, वह थी-‘आटा पीसने की हाथ की चक्की।’ राजा की अरुचि अब अधिक मुखर होने लगी तो वे बोले, ‘‘यह तो घर-घर में रहती है और इसकी कीमत भी बहुत कम है। इसमें क्या विशेषता है?’’

संत गंभीर हो गए, बोले, ‘‘आपके रत्न भी पत्थर के हैं। किसी काम नहीं आते, उलटे रखवाली कराते हैं। जबकि चक्की जीवन भर उपकार करती है और अनेक का पेट भरती है। रत्नराशि से इसका महत्व कहीं अधिक है।’’ राजा का विवेक जागा और वह उपयोगी और बेकार की वस्तुओं का अंतर समझने लगे।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!