Edited By Sarita Thapa,Updated: 14 Dec, 2025 01:00 PM

वैशाली महानगर पूरे उत्साह से राज्य महोत्सव मनाने में व्यस्त था। अचानक उसी समय पहले से घात लगाए हुए शत्रुओं ने महानगर पर आक्रमण कर दिया।
Motivational Story: वैशाली महानगर पूरे उत्साह से राज्य महोत्सव मनाने में व्यस्त था। अचानक उसी समय पहले से घात लगाए हुए शत्रुओं ने महानगर पर आक्रमण कर दिया। तैयारी न होने के कारण युद्ध में सेना को हार का मुंह देखना पड़ रहा था और शत्रु सेना प्रजाजनों पर जुल्म कर रही थी। सेनापति विवश थे।
वह यह दृश्य देख कर बहुत दुखी हो गए। कुछ सोच कर वह शत्रु पक्ष के सेनाध्यक्ष से मिलने चल दिए। उनके पास पहुंचते ही उन्होंने प्रजा पर हो रहे इस अत्याचार को रोकने का अनुरोध किया। शत्रु सेनानायक ने उनके सामने यह शर्त रखी कि तुम जिनती देर सामने बह रही नदी में डूबे रहोगे, हमारी सेना लूट-पाट और हिंसा बंद रखेगी।

यह शर्त सुनते ही सेनापति उसे स्वीकार करने को तैयार हो गए। देखते-देखते वह नदी में कूद भी पड़े। शत्रु सेनानायक भी अपने वचन के पक्के थे। जब तक सेनापति का सिर पानी के बाहर न दिखाई दिया, लूट-पाट और हत्या का सिलसिला बंद रहा। काफी समय बीत गया, लेकिन सेनापति बाहर नहीं आए। उधर, विशाल शत्रु सेना प्रतीक्षा करते-करते थक गई थी। सेनानायक चकित थे। उन्होंने हारकर गोताखोरों को सेनापति का पता लगाने को कहा।
काफी खोजबीन के बाद सेनापति का मृत शरीर एक चट्टान से लिपटा पाया गया। उन्होंने दोनों हाथों से चट्टान को मजबूती से पकड़ रखा था। मरने के बाद भी चट्टान से उनके हाथ नहीं छूटे। इस अनुपम त्याग और बलिदान से शत्रु सेनानायक का हृदय पिघल गया। वह सोचने लगे जिस राज्य में प्रजा के लिए ऐसे बलिदानी हैं, उस पर आक्रमण करना बिल्कुल ठीक नहीं। वह सेना लेकर अपने राज्य को लौट गए।
