कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- मुनि श्री तरुण सागर जी

Edited By Jyoti,Updated: 13 Nov, 2021 11:58 AM

muni shri tarun sagar

निंदा बनाम कचरा निंदा करना पाप है, निंदा सुनना और भी बड़ा पाप है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर का कचरा तुम्हारे घर डाल दे तो क्या तुम उससे खुश होकर उसे चाय पिलाओगे? नहीं न।

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निंदा बनाम कचरा
निंदा करना पाप है, निंदा सुनना और भी बड़ा पाप है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर का कचरा तुम्हारे घर डाल दे तो क्या तुम उससे खुश होकर उसे चाय पिलाओगे? नहीं न। तो फिर जब कोई व्यक्ति तुम्हारे सामने किसी की निंदा करता है तो तुम खुश होकर उसे क्यों सुनते हो। वह तुम्हारे कान में कचरा डाल रहा है और तुम खुश हो रहे हो। निंदा सुनने का इतना ही शौक है तो एक काम करिए-अपने कान के ऊपर के हिस्से में ‘डस्टबिन’ और नीचे ‘प्लीज यूज मी’ भी लिखवा लीजिए।

पेट और पाप
दुनिया में जो बड़े पाप हो रहे हैं उन्हें कौन कर रहा है? भूखे पेट का आदमी? नहीं! खाली पेट का आदमी तो पेट भरने जितना ही पाप करता  है लेकिन यह जो भरे पेट का आदमी है न, वह पेटी और कोठी भरने जितने बड़े-बड़े पाप करता है।  महावीर वाणी है : ईमानदारी से पेट भरा जा सकता है, पेटी और कोठी नहीं। यदि रखना-आदमी पहले तो अमीर होने के लिए बड़े पाप करता है और फिर अमीर होकर अपनी अय्याशी पर पाप करता है।

हजार सुनेंगे, सौ गुनेंगे
किसी ने पूछा, ‘‘आपको हजारों की भीड़ सुनने आती है लेकिन बदलता क्या है?’’ हर बार लोग सुनते हैं और अपनी दुनिया में लौटकर वही सब करने लगते हैं जिससे परेशान होकर आपके पास आते हैं। क्या वाकई लोग बदलते हैं?’’

मैंने कहा, ‘‘कथा प्रवचन परिवर्तन के माध्यम हैं। सुनने वालों के भी अपने दायित्व हैं लेकिन हजार के हजार को कभी बदलना संभव नहीं हुआ है। हजार सुनेंगे, सौ गुनेंगे, दस चुनेंगे और एक ही बदलेगा।

सब समस्याओं का एक हल
समाज और देश को ऊंचा उठाना है तो गरीबी और निरक्षरता इन दोनों को खत्म करना होगा। गरीबी व निरक्षरता समाज और देश के लिए अभिशाप है। यह केवल निरक्षर और गरीब व्यक्ति के लिए ही नहीं बल्कि समाज, देश और विश्व के लिए अभिशाप बन जाती है। सभी समस्याओं को हल करने का एकमात्र उपाय साक्षरता ही है। देश के पढ़े-लिखे व्यक्ति दो अनपढ़ को साक्षर बनाने का संकल्प करें तो निरक्षरता का यह अभिशाप खत्म हो सकता है।

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