Edited By Sarita Thapa,Updated: 04 Dec, 2025 03:36 PM

वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान सरल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देते हैं।
Premanand Maharaj Teachings: वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान सरल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देते हैं। कर्ज जैसी गंभीर आर्थिक समस्या पर भी महाराज जी ने स्पष्ट विचार रखे हैं, जो बताते हैं कि इस स्थिति के पीछे केवल पूर्व जन्म का कर्म ही नहीं, बल्कि वर्तमान की गलतियां भी बड़ा कारण होती हैं। तो आइए जानते हैं महाराज जी की शिक्षाओं के अनुसार, कर्ज चढ़ने के पीछे का सच के बारे में-
वर्तमान की गलतियां और कर्म
अनावश्यक भोग और दिखावा
प्रेमानंद जी महाराज वर्तमान के कर्मों को कर्ज चढ़ने का सबसे बड़ा और सीधा कारण मानते हैं। उनके अनुसार, मनुष्य अपनी कुछ गलत आदतों और अविवेकी व्यवहार के कारण इस समस्या में फंसता है। जब मनुष्य अपनी वास्तविक आय से अधिक खर्च करता है और भोग-विलास या सामाजिक दिखावे के लिए कर्ज लेता है, तो वह निश्चित रूप से कर्ज के जाल में फंस जाता है।
अविवेकपूर्ण निर्णय
व्यवसाय या निवेश में बिना सोचे-समझे बड़ा जोखिम उठाना या बिना पर्याप्त ज्ञान के अत्यधिक पैसा लगाना भी कर्ज का कारण बनता है।
असंतोष
जीवन में असंतोष की भावना व्यक्ति को हमेशा और अधिक पाने के लिए प्रेरित करती है। यह असंतोष ही उसे कर्ज लेकर अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए मजबूर करता है।

आलस्य और टालमटोल
मेहनत न करना, आलस्य करना, या अपने कर्त्तव्यों से भागना भी आर्थिक नुकसान और अंततः कर्ज का कारण बनता है।
पूर्व जन्म का हिसाब-किताब
महाराज जी के अनुसार, भले ही वर्तमान की गलतियां प्रमुख हों, कुछ कर्ज ऐसे भी होते हैं जो पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम होते हैं, जिसे कर्मिक ऋण कहा जाता है।
किसी का हक छीनना
यदि आपने पूर्व जन्म में किसी गरीब, निर्बल या ज़रूरतमंद का हक छीना हो या किसी को धोखा दिया हो, तो इस जन्म में आपको उस ऋण को आर्थिक तंगी या कर्ज के रूप में चुकाना पड़ता है।
न्याय का संतुलन
प्रकृति या ईश्वर हमेशा न्याय का संतुलन बनाए रखती है। यदि आपके पिछले जन्म के खाते में कुछ देना बाकी है, तो इस जीवन में आपको अनजाने में ही कर्ज लेना पड़ सकता है ताकि आपका वह हिसाब चुकता हो सके।

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