Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Jul, 2025 07:13 AM
Nath Nagri bareilly: जब मैं बरेली की रंगीन गलियों से होकर गुज़री, तो शहर ने मेरा स्वागत किया अपने प्रसिद्ध झुमके से जो शहर के प्रवेश द्वार पर गर्व से खड़ा था। यह वही झुमका है, जिसने एक कालजयी गीत के माध्यम से हर भारतीय दिल में हमेशा के लिए जगह बना...
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Nath Nagri bareilly: जब मैं बरेली की रंगीन गलियों से होकर गुज़री, तो शहर ने मेरा स्वागत किया अपने प्रसिद्ध झुमके से जो शहर के प्रवेश द्वार पर गर्व से खड़ा था। यह वही झुमका है, जिसने एक कालजयी गीत के माध्यम से हर भारतीय दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली है —
“झुमका गिरा रे, बरेली के बाज़ार में…”
मैं मुस्कुराई और अपने साथी यात्री से पूछा, “आख़िर इस झुमके में ऐसा क्या खास है ?”
लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि बरेली सिर्फ एक झुमके की कहानी नहीं है, यह तो परंपराओं, स्वादों, आस्थाओं और भूली-बिसरी विरासतों की एक पूरी रंगीन चादर है।
जैसे-जैसे मैंने शहर को करीब से जाना, वह अपने राज धीरे-धीरे खोलता गया। जरी का बारीक काम, बरेली की मशहूर बर्फ़ी, और गली-गली में मिलने वाली मुरादाबादी दाल, ये सब सुनी-सुनाई चीज़ें थीं। लेकिन जो चीज़ मन को छू गई, वो थी इस शहर की आत्मा शांत, रहस्यमयी और आध्यात्मिक।
एक स्थानीय ने प्रेमपूर्वक इसे नाथ नगरी कहा और यहीं से एक नए रहस्य की शुरुआत हुई। जैसे-जैसे मैं खोज में आगे बढ़ी, बचपन की वे कहानियां फिर से याद आने लगीं, भगवान पार्श्वनाथ, हमारे 23वें तीर्थंकर, जिन्होंने यहीं कठोर तपस्या की थी और केवलज्ञान की प्राप्ति की थी।
धरणेन्द्र नाग और पद्मावती देवी की कथाएं जैसे मन में फिर से जीवंत हो उठीं, बचपन की स्मृतियों की तरह, जो हवाओं के साथ लौट आईं।
मेरी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत हुई धोपेश्वर नाथ महादेव से। मंदिर परिसर में स्थित एक प्राचीन सरोवर की शांत जलधारा में समय जैसे ठहरा हुआ प्रतीत होता है, मानो जल की बूंदों में युगों की आस्था समाई हो।
जब मैंने भगवान शिव के चरणों में प्रणाम किया, तभी जाना कि बरेली में एक नहीं, बल्कि सात प्राचीन शिवालय हैं, हर एक मंदिर अपने आप में एक दिव्य केंद्र है, जो इतिहास और श्रद्धा से भरपूर है।
श्री तपेश्वर नाथ मंदिर
मदीनाथ मंदिर
अलखनाथ मंदिर
त्रिवटीनाथ मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर
वनखंडीनाथ मंदिर
धोपेश्वर नाथ मंदिर
हर मंदिर केवल हिन्दू आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक भूगोल का हिस्सा है, जहां जैन, बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई आस्थाएं भी सहज रूप से समाहित हैं। बरेली केवल समरसता की बात नहीं करता, यह समरसता को जीता है।
शाम होते-होते जब मन श्रद्धा से भर चुका था और आत्मा शांत थी, तब मैंने दिन का समापन किया मुरादाबादी दाल की एक सादी लेकिन आत्मीय थाली के साथ। मन तृप्त था, पर कहीं भीतर कुछ और जानने की जिज्ञासा अब भी बाकी थी। क्योंकि बरेली या कहें नाथ नगरी केवल एक जगह नहीं है जिसे आप देखते हैं।यह एक अनुभव है, जो खुद आकर आपको देखता है।
धन्यवाद बरेली- इन पवित्र स्मृतियों, कहानियों और मौन रूपांतरणों के लिए।

Dr. Tanu Jain, Civil Servant and Spiritual Speaker
Ministry of defence