Nishkalank Mahadev Mandir: निष्कलंक महादेव का अद्भुत मंदिर, जो प्रतिदिन लेता है जलसमाधि

Edited By Updated: 12 Aug, 2023 10:33 AM

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निष्कलंक महादेव मंदिर गुजरात में भावनगर के कोलियाक नामक गांव के पास अरब सागर के अंदर 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रतिदिन दोपहर को लगभग 1

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Nishkalank Mahadev Mandir: निष्कलंक महादेव मंदिर गुजरात में भावनगर के कोलियाक नामक गांव के पास अरब सागर के अंदर 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रतिदिन दोपहर को लगभग 1 बजे के बाद तीर्थयात्रियों को भगवान शिव के दर्शन करने की अनुमति दी जाती है। कहा जाता है कि पांडवों ने इस स्थान पर पूजा की थी इसलिए उनकी स्मृति चिह्न के रूप में 5 शिवलिंग यहां स्थापित किए गए हैं। ‘स्टोन टै पल लैग’ (‘कोडिमाराम प्रदवजस्थमभम’) लगभग 20 फुट ऊंचा है जो अब तक बाढ़-तूफानों में अडिग रहा है। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे तक समुद्र का जल स्तर इस ‘स्टोन टै पल लैग’ के शीर्ष को छूता है। इस दौरान भगवान की मूर्ति जलमग्न हो जाती है और केवल ध्वज और स्तंभ ही नजर आता है।

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दोपहर 1 बजे के बाद समुद्र का स्तर दोनों तरफ से कम होने लगता है और लोगों को भगवान शिव के दर्शन और पूजा करने की अनुमति मिलती है। दरअसल, यह मंदिर समुद्र में उच्च ज्वार के दौरान डूब जाता है और कम ज्वार के दौरान अपनी भव्यता प्रकट करने के लिए उभर आता है और अपने भक्तों से सभी पापों को धोने का वायदा करता है। इस अद्भुत मंदिर की सबसे खास बात है कि यह शायद पूरी दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र इकलौता मंदिर है, जो प्रतिदिन जल समाधि लेता है और देश के सबसे दुर्लभ समुद्री मंदिरों में से एक है।

Temple structure मंदिर की संरचना
मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में एक चौकोर मंच पर 5 अलग-अलग स्वयंभू शिवलिंग हैं और प्रत्येक के सामने एक नंदी की मूर्ति है। मंदिर को उच्च ज्वार का सामना करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया था और यह वास्तव में आधुनिक इंजीनियरों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के लिए एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।

Story related to temple मंदिर से जुड़ी कथा
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद किया गया था। किंवदंती है कि सभी कौरवों को मारने के बाद पांडवों को अपने कृत्य के लिए अपराध बोध महसूस होने लगा। अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए पांडवों ने श्री कृष्ण से परामर्श किया। जिन्होंने उन्हें एक काला झंडा और एक काली गाय सौंपी और उसका पीछा करने को कहा। श्री कृष्ण ने उन्हें निर्देश दिया कि जब ध्वज और गाय दोनों सफेद हो जाएंगे, तो उन सभी को माफी मिल जाएगी। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें इसके बाद भगवान शिव से माफी मांगने के लिए भी कहा।

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जहां भी गाय उन्हें ले गई पांडवों ने काले ध्वज के साथ उसका हर जगह पीछा किया। कई वर्षों तक विभिन्न स्थानों की यात्रा के बावजूद ध्वज और गाय का रंग नहीं बदला। अंत में, जब वे कोलियाक समुद्र तट पर पहुंचे, तो दोनों सफेद हो गए। यहीं पर पांडवों ने भगवान शिव का ध्यान किया और अपने द्वारा किए गए पापों के लिए माफी मांगी। उनकी प्रार्थनाओं से प्रभावित होकर भगवान शिव ने प्रत्येक भाई को लिंगम रूप में दर्शन दिए इसलिए पांडवों ने इस मंदिर का नाम निष्कलंक महादेव रखा, जिसका अर्थ है बेदाग, स्वच्छ और निर्दोष होना।

श्रद्धालु निम्न ज्वार के दौरान तट से नंगे पैर चलकर मंदिर के दर्शन करते हैं। मंदिर पहुंचने पर भक्त सबसे पहले एक तालाब में हाथ-पैर धोते हैं जिसे पांडव तालाब कहा जाता है और फिर दर्शन करते हैं। ‘भादरवी’ नामक एक प्रसिद्ध मेला यहां श्रावण माह की अमावस्या की रात को आयोजित किया जाता है। मंदिर उत्सव की शुरुआत भावनगर के महाराजाओं द्वारा झंडा फहराकर की जाती है, जहां यह झंडा 364 दिनों तक फहराता है और केवल अगले मंदिर उत्सव के दौरान बदला जाता है।

How to reach कैसे पहुंचें
सड़क से: पूरे गुजरात से यहां तक पहुंचने के लिए बस सुविधा मौजूद है। राजकोट से 4 घंटे, अहमदाबाद से 4 घंटे, वडोदरा से 5 घंटे और पालीताना से यहां पहुंचने में 2 घंटे लगते हैं।

ट्रेन से: आप अहमदाबाद और मुंबई से लगातार चलने वाली ट्रेन का विकल्प चुन सकते हैं।

हवाई जहाज से- भाव नगर हवाई अड्डा यहां से लगभग 3.5 कि.मी. दूर है जो देश के प्रमुख शहरों से काफी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

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