न केवल श्रीराम से, इन 4 से भी पराजित हुआ था रावण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 12:05 PM

not only from shriram ravana was defeated by these four

हम में से अधिकतर लोग यह जानते होंगे कि रावण के श्रीराम ने पराजित किया था और सीता मां को उसकी कैद से मुक्त करा रावण पर विजय प्राप्त की थी।

हम में से अधिकतर लोग यह जानते होंगे कि रावण के श्रीराम ने पराजित किया था और सीता मां को उसकी कैद से मुक्त करा रावण पर विजय प्राप्त की थी। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि श्रीराम के अलावा रावण शिवजी, राजा बलि, बालि और सहस्त्रबाहु से भी पराजित हो चुका था। जानिए इतना बलशाली राजा रावण इन 4 महाबलशालीओं से कब और कैसे हारा। 

 

 

सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण की हार
सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे और इस कारण से ही उसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। जब रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने गया था तो सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था। सहस्त्रबाहु ने नर्मदा का पानी इकट्ठा किया और फिर एक साथ पानी छोड़ दिया था। जिससे रावण अपनी पूरी सेना के साथ ही नर्मदा में बह गया था। इस पराजय के बाद एक बार फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने आया था, तब सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था।

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राजा बलि के महल में रावण की हार
दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था। वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस प्रकार राजा बलि के महल में भी रावण की पराजय हुई थी।

 


शिवजी से रावण की हार
रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर अत्यंत घमंड था। एक बार रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा। तब शिवजी ने अपने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया और इस भार को रावण उठा नहीं सका। उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। बहुत प्रयत्न के बाद भी रावण अपना हाथ वहां से नहीं निकाल सका। तब रावण ने शिवजी से अपनी भूल की क्षमान याचना की और शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए उसी समय शिव तांडव स्रोत रच दिया। शिवजी इस स्रोत से प्रसन्न हो गए और उन्होंने रावण को मुक्त कर दिया। 
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बालि से रावण की हार
बालि बहुत शक्तिशाली था और इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था और परिक्रमा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। एक बार बालि सुबह पूजा कर रहा था कि रावण ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा। रावण के कारण बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी, जिस कारण उसे क्रोध आ गया। उसने रावण के न मानने पर उसे अपनी बाजू में दबा लिया और उसे अपनी बाजी में दबाकर ही परिक्रमा की और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। पूजा संपन्न करने के बाद ही बालि ने रावण को छोड़ा था। इस तरह रावण के बहुत प्रयास करने पर भी वह बालि की गिरफ्त से आजाद नहीं हो पाया था।

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