Edited By Jyoti,Updated: 18 Apr, 2020 05:37 PM

पितर तर्पण, वो अनुष्ठान होता है जो अपने पितरों यानि पूर्वजों की शांति के लिए किया जाता है। मगर आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पितर तर्पण, वो अनुष्ठान होता है जो अपने पितरों यानि पूर्वजों की शांति के लिए किया जाता है। मगर आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। यही कारण है कि बहुत से लोगों अपने पूर्वजों को मोक्ष नहीं दिला पाते। तो वहीं कुछ लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है। मगर बहुत से लोग हैं जिन्हें कुंडली में इस दोष का या तो पता ही नहीं होता और अगर पता होता है तो इस बार में जावकारी नहीं होती कि इससे दूर कैसे किया जाए तो अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते तो चलिए इस लॉकडाउन पीरियड में हम आपको बताते हैं कि आखिर पितृ दोष क्या होता है और इसके कुंडली में होने से कैसे-कैसे प्रभाव देखने के मिलने लगते हैं।

बता दें ज्योतिष शास्त्र को हिंदू धर्म के वेदों का नेत्र कहा गया है, इसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में "पितृ दोष" हो तो उसका समाधान तुरंत करवाना चाहिए।
यहां जानें आखिर पितृ किसे कहते हैं और ये होता क्या है-
अगर ज्योतिष शास्त्र की मानें, जो व्यक्ति जीते जी अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करता हर समय उनका अनादर, अपमान करता तथा उन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाता है, कहा जाता है जब उसके मां-बाप शरीर त्यागते हैं तब उनके दुखी मन के चलते उनकी आत्मा को भी अधिक कष्ट पहुंचता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसी कारण ही जातक के जीवन में पितृ दोष दस्तक देता है। अगर आज के समय की बात करें तो बहुत से लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। परंतु धार्मिक ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है पितरों के असंतुष्ट होने के कारण कुंडली में पितृ दोष पैदा होता है। जिस कारण उस जातक को कई तरह की समस्याएं का सामना करना पड़ता है।
बता दें पितृ पक्ष के दौरान लोग अपेन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितर तर्पण करता है। जो इस बार 1 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा।

इतना नहीं बल्कि कहा जाता है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृदोष एक ऐसा दोष होता है जिसके चलते इंसान की जीवन में प्रगति रूक जाती है। साथ ही साथ इसके कारण जीवन में आध्यात्मिक साधना आदि में भी बाधाएं आने लगती हैं। कहने का अर्थात है अगर पूर्वजों का आत्मा तृप्त न हो तो जीवन में हर तरह के कष्ट का सामना करना पड़ता है।
यहां जानें क्या है दैनिक जीवन में पितृदोष के लक्षण-
विवाह न हो पाना, वैवाहिक जीवन में अशांति का होना, अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद भी परीक्षा में कुछ न सूझना, नौकरी छूट जाना गर्भधारण में समस्या, गर्भपात, मानसिक दृष्टि से विकलांग बच्चे अथवा विशिष्ट समस्याओं से ग्रस्त बच्चे पैदा होना, बच्चों की अकाल मृत्यु होना। फिजूल खर्चा बढ़ना, घर में बीमारी, निर्बलता, निराश हो जान, घर में कोई मंगल कार्य न होना, व्यापार में दिक्कत आना आदि।

पितृदोष निवारण के लिए कौन से उपाय करने चाहिए-
घर में निवारण यंत्र की स्थापना करके प्रतिदिन उसकी पूजा करना चाहिएत तथा “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जप हर रोज़ 108 बार करें। घर की दक्षिण दिशा वाली दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर माला चढ़ाएं पीपल वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय पित्रों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करना चाहिए। शाम के समय में दीप जलाएं। नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें।