Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Aug, 2025 03:58 PM

Radha Rani Favourite Arbi: बरसाना और ब्रजभूमि में राधा जी के जन्मोत्सव पर अरबी का भोग लगाने की प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही है। अरबी का भोग राधा अष्टमी की पारंपरिक और सांकेतिक विशेषता है, जो भूमि, मातृत्व और सादगी का प्रतीक है।
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Radha Rani Favourite Arbi: बरसाना और ब्रजभूमि में राधा जी के जन्मोत्सव पर अरबी का भोग लगाने की प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही है। अरबी का भोग राधा अष्टमी की पारंपरिक और सांकेतिक विशेषता है, जो भूमि, मातृत्व और सादगी का प्रतीक है। भाद्रपद मास में अरबी, जिसे तरोई/घुइयां भी कहा जाता है, नई फसल के रूप में आती है। इसे सात्त्विक और पवित्र माना जाता है। अरबी की जड़ धरती में फैलती है, इसे भूमि माता और मातृत्व शक्ति का प्रतीक माना गया है। राधा जी स्वयं प्रकृति स्वरूपा हैं इसलिए यह भोग उन्हें विशेष प्रिय है। अरबी को उबाल कर, शुद्ध घी व सेंधा नमक से बनाकर चढ़ाया जाता है। यह उपवास में भी ग्रहण की जा सकती है इसलिए इसे व्रती भक्तों के लिए भी पवित्र प्रसाद माना गया है।

राधा जी सरल, सात्त्विक और मधुर खाद्य पदार्थों को अत्यंत प्रिय मानती हैं। राधा अष्टमी पर अरबी के अतिरिक्त इन भोज्य पदार्थों का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। बरसाना और वृंदावन में मालपुआ जन्मोत्सव भोग का मुख्य हिस्सा है।
राधा-कृष्ण दोनों का सर्वप्रिय है माखन-मिश्री, शुद्ध दूध और चावल से बनी खीर, राधारानी को सुगंधित पान अत्यंत प्रिय हैं। मौसमी फल और मिठाइयां। तुलसी दल के बिना कोई भी भोग अधूरा है।

राधा रानी को भोग लगाने की विधि
अरबी को पहले अच्छी तरह धोकर छिलके सहित उबाला जाता है। फिर उसका छिलका उतारकर घी, सेंधा नमक और हल्की काली मिर्च से बनाएं। इसे थाल में रखकर साथ में खीर, माखन-मिश्री, फल और पान अर्पित करें। अंत में तुलसी दल चढ़ाकर राधा जी को समर्पित किया जाता है।
