Radha ashtami 2021: ये है श्री राधाष्टमी व्रत का महत्व, विधि और पुण्यफल

Edited By Updated: 14 Sep, 2021 07:53 AM

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श्रीकृष्ण भक्ति के अवतार देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा कि श्री राधा देवी लक्ष्मी, देवपत्नी, महालक्ष्मी, सरस्वती,अंतरंग विद्या, वैष्णवी प्रकृति,वेदकन्या,मुनिकन्या आदि में से कौन हैं?

 
Radha ashtami 2021: श्रीकृष्ण भक्ति के अवतार देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा कि श्री राधा देवी लक्ष्मी, देवपत्नी, महालक्ष्मी, सरस्वती,अंतरंग विद्या, वैष्णवी प्रकृति,वेदकन्या,मुनिकन्या आदि में से कौन हैं?
 
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इस प्रश्न के उत्तर में भगवान ने कहा कि किसी एक की बात क्या कहें, कोटि-कोटि महालक्ष्मी भी उनके चरणकमलों की शोभा के सामने नहीं ठहर सकतीं, इसलिए श्री राधा जी के रूप, गुण और सुन्दरता का वर्णन किसी एक मुख से करने में तीनों लोकों में भी कोई सामर्थय नहीं रखता। उनकी रूपमाधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है इसी कारण अनन्त मुख से भी मैं उनका वर्णन नहीं कर सकता।
 
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन श्री राधा जी के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। उनके चरणकमलों की सुन्दरता का वर्णन कर पाना भी किसी के लिए सम्भव नहीं है।
 
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श्री राधाष्टमी व्रत विधि
अन्य व्रतों की भांति इस दिन भी प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर श्री राधा जी का विधिवत पूजन करना चाहिए । इस दिन श्री राधा कृष्ण मंदिर में ध्वजा, पुष्पमाला,वस्त्र, पताका, तोरणादि व विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों एवं फलों से श्री राधा जी की स्तुति करनी चाहिए। मंदिर में पांच रंगों से मंडप सजाएं, उनके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं, उस कमल के मध्य में दिव्य आसन पर श्री राधा कृष्ण की युगलमूर्ति पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें। बंधु बांधवों सहित अपनी सामर्थ्यानुसार पूजा की सामग्री लेकर भक्तिभाव से भगवान की स्तुति गाएं। दिन में हरिचर्चा में समय बिताएं तथा रात्रि को नाम संकीर्तन करें। एक समय फलाहार करें। मंदिर में दीपदान करें। 
 
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श्री राधाष्टमी व्रत का पुण्यफल
श्री राधा कृष्ण जिनके इष्टदेव हैं, उन्हें राधाष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह व्रत श्रेष्ठ है। श्री राधाजी सर्वतीर्थमयी एवं ऐश्वर्यमयी हैं। इनके भक्तों के घर में सदा ही लक्ष्मी जी का वास रहता है। जो भक्त यह व्रत करते हैं उन साधकों की जहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन राधा जी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।  

जो मनुष्य श्री राधा जी के नाम मंत्र का स्मरण एवं जाप करता है वह धर्मार्थी बनता है। अर्थार्थी को धन की प्राप्ति होती है, मोक्षार्थी को मोक्ष मिलता है। राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी रहती है। 

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