अपने बेटे से बेपनाह प्यार करने वाली मां की कहानी, जो कर देगी आपकी भी आंखें नम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Mar, 2023 11:31 AM

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कभी आराम न करने वाली मैं आज अचेत पड़ी हुई थी। शरीर चेतना-शून्य था, पर मैं पास खड़ी सब देख-सुन रही थी लेकिन किसी

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Inspirational Story: कभी आराम न करने वाली मैं आज अचेत पड़ी हुई थी। शरीर चेतना-शून्य था, पर मैं पास खड़ी सब देख-सुन रही थी लेकिन किसी को भान ही नहीं था कि मैं देख रही हूं। पति सिर पर हाथ रख कर जड़वत बैठे थे। काफी लोग आ-जा रहे थे, मेरी बेटियां आवाक बैठी थीं। कुछ लोग बार-बार घड़ी देख रहे थे, आपस में कानाफूसी चल रही थी- शव कब ले जाया जाएगा। बार-बार मृतदेह को शव सुनने से आहत हो चुके मेरे पति ने मर्माहत होकर लोगों की तरफ देखा। जो लोग कहते थे कि आप जैसा कोई नहीं, वे मुझे ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। जल्द क्रिया-कर्म कर निपटा देने के लिए आतुर हो रहे हैं।

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खैर, मुझे गंगाजल से नहला कर नए वस्त्र पहनाए गए। शृंगार किया गया, फिर पति को बुला कर मांग में सिन्दूर भराया गया।
मुंह में तुलसी पत्ता और सोना डाला गया। हाथों में लड्डू दबाए गए पर सब कुछ यंत्रचालित ढंग से हो रहा था। निस्पंद शरीर में भी दर्द का स्पंदन महसूस हो रहा था। बेटे की रात की फ्लाइट थी। वह कैंसिल नहीं कर सकता था, वह बहुत जल्दी में था। जल्दी से श्मशान ले जाकर चिता सजा दी गई।

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पंडित ने मंत्रोचार के बाद बेटे को अग्नि देने को कहा। वह अग्नि देकर पिता से बोला, ‘‘पापा मैं जा रहा हूं, बाकी के कार्य आप कर लीजिएगा। अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट है, जल्दी जाना होगा।’’

अग्नि स्नान करती मैं आवाक रह गई। क्या-क्या नहीं किया मैंने इसके लिए ? आज मेरा बेटा मेरे पूरी तरह से राख बनने का इंतजार नहीं कर सकता। आज अहसास हुआ सिर्फ राम नाम ही सत्य है। मेरी आत्मा जो पीड़ा महसूस कर रही थी, वह राम का ध्यान करते ही अनंत में विलीन हो गई, मैं मुक्त हो गई।

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पार्थिव शरीर मिट्टी में मिल गया। मोह बंधन टूटते ही मैं अनंत आकाश की तरफ जा रही थी। मुझे वहां से छोटी-सी चींटी तक दिखाई दे रही थी पर मुझे कुछ भी खींच नहीं पा रहा था। माया का फंदा गले से निकल गया था। मैं स्वयं मुख से हर्ष की छटा हटा नहीं पा रही थी। मैं उड़ रही थी अनंत में अपने गिरधर से मिलने को आकुल। माया-मोह का फंदा जब टूटता है परमात्मा के सिवाए कुछ न सूझता है। 

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