Saraswati Puja in Shardiya Navratri: शिक्षा और करियर में अद्भुत सफलता के लिए शारदीय नवरात्रि पर करें सरस्वती पूजा

Edited By Updated: 27 Sep, 2025 02:11 PM

saraswati puja in shardiya navratri

Saraswati Puja in Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि केवल मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की उपासना का भी पर्व है। अष्टमी और नवमी तिथि पर सरस्वती पूजा का विशेष...

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Saraswati Puja in Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि केवल मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की उपासना का भी पर्व है। अष्टमी और नवमी तिथि पर सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों और वास्तु के अनुसार सही दिशा, स्थान और विधि से पूजा करने पर शिक्षा, करियर और कला में अद्भुत सफलता प्राप्त होती है।

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सरस्वती पूजा का महत्व
मां सरस्वती ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी हैं। शारदीय नवरात्रि में उनकी पूजा करने से मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्धि मिलती है। इस दिन की साधना से जीवन में अज्ञानता, आलस्य और बाधाएं दूर होती हैं। विद्यार्थी और कलाकार विशेष रूप से इस दिन पूजा करते हैं ताकि उनके प्रयास सफल हों और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों।

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वास्तु अनुसार दिशा और स्थान
ईशान कोण में स्थापना: मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। यह दिशा ज्ञान, विवेक और एकाग्रता को बढ़ाती है।

बैठने की दिशा: पूजा करते समय पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। यह स्मरण शक्ति और ध्यान की क्षमता को बढ़ाता है।

किताबें और वाद्ययंत्र: पूजा के समय देवी के सामने किताबें, वाद्ययंत्र, वीणा, पेन या लैपटॉप रख सकते हैं। इससे सभी अध्ययन और कला के प्रयासों में सफलता आती है।

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पूजा और हवन के उपाय
सफेद पुष्प और पीला वस्त्र:
सफेद कमल या अपराजिता के फूल चढ़ाएं और पीला वस्त्र अर्पित करें। यह रचनात्मकता और विद्या में वृद्धि करता है।

दीपक का स्थान: घी का दीपक दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण) में जलाएं। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

वाद्ययंत्र का प्रयोग: यदि संभव हो तो वीणा या बांसुरी देवी के सामने रखें। यह पूजा में दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।

हवन: अष्टमी और नवमी तिथि को हवन करना अत्यंत शुभ होता है। हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित कर “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप करते हुए आहुतियाँ दें। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

शास्त्रीय प्रमाण
मात्स्य पुराण में कहा गया है कि नवरात्रि में सरस्वती पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और कला में अद्भुत वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र में उल्लेख है कि ईशान कोण में स्थापित देवी पूजा से घर और कार्यस्थल दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि में वास्तु अनुसार सरस्वती पूजा करने से विद्यार्थी, कलाकार और साधक सभी को मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा जीवन से अज्ञानता, आलस्य और बाधाओं को दूर करती है तथा विद्या, कला और सफलता का वरदान देती है।

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