Edited By Sarita Thapa,Updated: 13 Aug, 2025 06:01 AM

Sardar Vallabhbhai Patel Story: विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोजाना अपने गांव से कई मील दूर दूसरे गांव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उनमें एक विद्यार्थी कम है। ढूंढने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है।
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Sardar Vallabhbhai Patel Story: विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोजाना अपने गांव से कई मील दूर दूसरे गांव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उनमें एक विद्यार्थी कम है। ढूंढने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है। देखा तो वह रास्ते में ही पीछे रुका हुआ था। उसे रुका देखकर एक विद्यार्थी ने आवाज लगाई, “तुम वहां क्या कर रहे हो?”
उस विद्यार्थी ने वहीं से उत्तर दिया, “ठहरो, मैं अभी आता हूं।”
यह कहकर उसने धरती में गड़े एक खूंटे को पकड़ा, जोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फेंक दिया। इसके बाद वह संतुष्ट मन से फिर अपनी टोली में आ मिला। उसके एक साथी ने पूछा, “तुमने वह खूंटा क्यों उखाड़ा? इसे तो किसी ने खेत की हद बताने के लिए गाड़ा था।”

इस पर विद्यार्थी बोला, “लेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था। चलने में रुकावट डालता था। जो खूंटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूंटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।”
वह विद्यार्थी और कोई नहीं, बल्कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल थे। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में सरदार वल्लभ भाई पटेल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
