Edited By Jyoti,Updated: 08 May, 2021 12:56 PM
शनि प्रदोष के दिन किसी भी तरह की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। इस दिन दशरथ स्त्रोत का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है।
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शनि प्रदोष के दिन किसी भी तरह की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। इस दिन दशरथ स्त्रोत का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि देव को काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द की दाल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। मान्यता है कि यह व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए। इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि त्रयोदशी के दिन पीपल के पेड़ पर नीले रंग का पुष्प और जल अर्पित करें।
प्रदोष काल में इस विधि से करें पूजन-
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े धारण करें।
भगवान शंकर और माता पार्वती को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
अब भगवान को बेल पत्र, गंध, अक्षत , फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची अर्पित करें।
शाम को भगवान शिव की इसी तरह पूजा करें और पुनः एक बार उक्त सभी सामग्री भगवान को अर्पित करें।
इस दिन अगर संभव हो तो इस दिन कांसे की कटोरी में तिल का तेल लेकर अपना चेहरा देखना चाहिये और जो भी शनिदेव के नाम का दान स्वीकार करता हो उसे तेल दान कर दें। इससे शनि की विशेष कृपा हासिल होगी और अगर आपकी कुंडली में शनि का बुरा प्रभाव चल रहा है तो आप को काफी राहत मिलेगी।
गुरमीत बेदी
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