हकीकत या फसाना: पशुपतिनाथ और केदारनाथ हैं एक ही ज्योर्तिलिंग !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Nov, 2024 07:10 AM

shri kedarnath dham

हिमालयी राज्य उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम विश्व की आस्था एवं आध्यात्मिक चेतना का पर्याय है, जहां जनमानस देवत्य की प्राप्ति के साथ-साथ देवभूमि के कण-कण में भगवान शंकर की उपस्थिति का आभास पाता है। यह स्थान

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shri Kedarnath Dham: हिमालयी राज्य उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम विश्व की आस्था एवं आध्यात्मिक चेतना का पर्याय है, जहां जनमानस देवत्य की प्राप्ति के साथ-साथ देवभूमि के कण-कण में भगवान शंकर की उपस्थिति का आभास पाता है। यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक आभा के लिए भी वैश्विक पटल पर भारत के आध्यात्मिक ऐश्वर्य एवं सौंदर्य को अंकित करता है। इसी सुरम्य परिवेश में भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग केदारनाथ स्थित है। प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक अपने रुद्र रूप में भगवान शिव 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिव के रूप में विराजमान रहते हैं।

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

आदि शंकराचार्य ने करवाया था जीर्णोद्धार 
सर्वप्रथम आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोधार करवाया था। इसी रुद्र रूप की परिकल्पना के कारण इस सम्पूर्ण क्षेत्र को रुद्रप्रयाग कहा गया है। हिमाच्छादित केदारनाथ धाम के कपाट अप्रैल-मई माह में ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ द्वारा विधि-विधान से घोषित तिथि के उपरांत खुलते हैं तथा दीपावली के पश्चात बंद कर दिए जाते हैं। शीतकाल में 6 माह भगवान केदारनाथ की चल-विग्रह डोली एवं दंडी ऊखीमठ में पूजा-अर्चना हेतु स्थापित की जाती है। इस धाम का तापमान शीत ऋतु में शून्य से बहुत नीचे पहुंच जाता है।

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

तीन ओर से पर्वतों से घिरा मंदिर
यह मंदिर तीनों ओर से उच्च हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं से अलंकृत है। एक तरफ से करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ 21 हजार 600 फुट ऊंटा खर्च कुंड तथा तीसरी ओर 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड इस धाम को आच्छादित किए हुए हैं। इसी अलौकिक सुरक्षा के साथ-साथ इसे मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीर गंगा, सरस्वती और स्वर्ण गौरी जैसी पुण्य सलिलाओं का साहचर्य भी प्राप्त है। वस्तुत: ये नदियां कल्याणकारी मां के समान अहर्निश इस मंदिर की सेवा में समर्पित हैं। पांडव वंशीय जनमेजय द्वारा इसे कत्यूरी शैली में बनाया गया है। निकट ही गौरीकुंड तथा वासुकी ताल भी हैं। 

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
स्कंद पुराण में वर्णित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नर-नारायण ने हिमालय के केदारशृंग (पर्वत) पर पार्थिव लिंग बनाकर अनेक वर्षों तक तपस्या की। उनकी सघन तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिए तथा उन्हीं नर-नारायण के विशिष्ट आग्रह से भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में वहीं पर विराजमान हो गए।

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

Kedarnath story of pandavas केदार की कथा
इसी क्रम में पुराणों में वर्णित पंच केदार की कथा के आख्यान से भी इस धाम के महत्व को समझा जा सकता है। महाभारत के युद्ध में विजयी होने के उपरांत पांडव अपने सगोत्रियों की हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे तथा ऋषिवर व्यास के परामर्श से भगवान शिव की शरण ही उन्हें पाप मुक्ति दिला सकती थी। इसी कामना के साथ पांडवों ने बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया। भगवान शंकर पांडवों की परीक्षा लेने के लिए अंतर्ध्यान होकर केदार जा बसे। पांडवों को जब पता चला तो वे भी उनके पीछे-पीछे केदार पर्वत पर पहुंच गए। भगवान शिव ने पांडवों को आता देख भैंस का रूप धारण कर लिया और पशुओं के झुंड में जा मिले। तब पांडवों ने भगवान के दर्शन पाने के लिए एक योजना बनाई और भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर अपने दोनों पैर केदार पर्वत के दोनों ओर फैला दिए। कहा जाता है कि अन्य सब पशु तो भीम के पैरों के नीचे से निकल गए लेकिन शंकर जी रूपी भैंस पैरों के नीचे से निकलने को तैयार नहीं हुआ। जब भीम ने उस भैंस को जबरदस्ती पकड़ना चाहा तो भोलेनाथ विशाल रूप धारण कर धरती में समाने लगे। उसी क्षण भीम ने बलात भैंस की पीठ का भाग कस कर पकड़ लिया।

भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ़ संकल्प देखकर प्रसन्न हुए और उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर भैंस की पीठ की आकृति पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। केदार शब्द का अर्थ दलदल के रूप में भी माना जाता है अर्थात वह स्थान जो मनुष्य को सांसारिक दलदल से मुक्ति दिलाता है।

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

PunjabKesari pashupatinath

Why is Shiva called Pasthupatinah पशुपतिनाथ से संबंध
पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ का सीधा संबंध केदारनाथ से माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ का ही हिस्सा है अर्थात धड़ से नीचे का भाग ‘केदार शिव’ भारत में तथा ऊपरी भाग ‘पशुपतिनाथ’ के रूप में नेपाल में पूजनीय है। 

PunjabKesari PASHUPATINATH

यहां की वादियों की अलौकिक शांति संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं अपितु विश्व के मनीषियों-साधु संतों को आध्यात्मिक की खोज के लिए आमंत्रित करती है। यहां स्थित उड्यारों (गुफा) में अनेक चिंतकों ने ध्यानावस्थित होकर शारीरिक एवं मानसिक शांति प्राप्त की है। 

PunjabKesari Pasthupatinah

कैसे पहुंचें : यात्री अपनी क्षमता के अनुसार हवाई यात्रा अथवा सड़क द्वारा बहुत सुगमता से केदारनाथ धाम पहुंच सकते हैं।  

PunjabKesari Shri Kedarnath Dham

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!