Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Sep, 2022 10:42 AM

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा इंडिया गेट की छतरी पर गुरुवार को सुशोभित हो गई। ये छतरी 60 के दशक से खाली पड़ी थी, जहां पहले ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम की
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नई दिल्ली (अनामिका सिंह/नवोदय टाइम्स): नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा इंडिया गेट की छतरी पर गुरुवार को सुशोभित हो गई। ये छतरी 60 के दशक से खाली पड़ी थी, जहां पहले ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि नेताजी की प्रतिमा व जो होलोग्राम था उसके डिजाइन में थोड़ा परिवर्तन किया गया है।
नेशनल मॉडर्न आर्ट गैलरी (एनजीएमए) के महानिदेशक अद्वैत चरन गडनायक ने बताया कि जिस होलोग्राम का लोकार्पण प्रधानमंत्री ने किया था तो नेताजी के हाथ में तलवार थी लेकिन जब मूर्ति बनाई गई तो उसमें परिवर्तन किया गया और तलवार को हटा दिया गया। उन्होंने बताया कि नेताजी की मूर्ति बनाने के लिए जून 2022 में ब्लैक ग्रेनाइट के पत्थर को जोकि 250 मीट्रिक टन का पत्थर था उसे तेलंगाना के खम्मम से दिल्ली में एनजीएमए तक लाया गया, उसे लाने के लिए 140 पहियों की 100 फुट लंबी गाड़ी का प्रयोग किया गया था। मूर्ति का डिजाइन एनजीएमए के साथ मिलकर मैसूर राजघराने में पिछले पांच पीढ़ियों से जुड़े अरूण योगीराज बनाया।
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अरूण की टीम में करीब 30-40 कलाकार थे। अरूण इससे पहले मोरारजी देसाई व योगीराज रामकृष्ण परमहंस की भी मूर्ति बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने में लगे कलाकार दक्षिण भारत व राजस्थान से आए थे।
शक्ति का प्रतीक है काला रंग, इसीलिए चयन किया ब्लैक ग्रेनाइट
गडनायक ने बताया कि हमने काले रंग के पत्थर का चयन सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वो शक्ति का प्रतीक है। मां काली, भगवान रूद्र, भगवान भैरव भी शक्ति के स्वरूप माने जाते हैं और उनकी मूर्तियां अधिकतर काले पत्थर से बनाई जाती हैं। इसी तरह भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस भी शक्ति के प्रतीक के रूप में उभरे थे। जिससे किंग्सवे या राजपथ अब कर्तव्यपथ के रूप में तब्दील हो गया है। इस मूर्ति को तैयार करने में करीब 3 महीने का समय लगा है।
अभी कितना है मूर्ति का वास्तविक वजन
महानिदेशक ने बताया कि इस मूर्ति को बनाने के लिए पारंपरिक व आधुनिक दोनों प्रकार के औजारों का प्रयोग किया गया लेकिन कलाकारों ने मूर्ति हाथों से बनाई है। 250 मीट्रिक टन के पत्थर को गढ़ने के बाद मूर्ति का वास्तविक वजन 65 मीट्रिक टन है और 28 फीट लंबी है। यह देश की विशालतम हस्तनिर्मित प्रतिमाओं में से एक है।
