Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Sep, 2025 06:02 AM

Swami Ramtirth Story: अमरीका में वेदांत का प्रचार करके भारत लौटते हुए स्वामी रामतीर्थ जापान गए। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्हें वहां एक विद्यालय में आमंत्रित किया गया।
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Swami Ramtirth Story: अमरीका में वेदांत का प्रचार करके भारत लौटते हुए स्वामी रामतीर्थ जापान गए। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्हें वहां एक विद्यालय में आमंत्रित किया गया। एक नन्हे छात्र से स्वामी जी ने सप्रेम पूछा- “बच्चे! तुम किस धर्म को मानते हो?”

“बौद्ध धर्म को।” छात्र ने सादर उत्तर दिया। स्वामी जी ने पुन: पूछा- “बुद्ध के विषय में तुम्हारे क्या विचार हैं?”
छात्र ने सादर उत्तर दिया- “बुद्ध तो भगवान हैं।” इतना कहकर उसने बुद्ध का ध्यान करके अपने देश की प्रथा के अनुसार भगवान बुद्ध को सम्मान के साथ प्रणाम किया। तब स्वामी जी ने छात्र से पुन: पूछा- “अच्छा बताओ, तुम कन्फ्यूशियस को क्या समझते हो?”
छात्र ने बुद्धिमानी से उत्तर दिया- “कनफ्यूशियस एक महान संत हैं।”
अंत में स्वामी जी ने प्रश्न किया- “अच्छा बताओ। यदि किसी दूसरे देश से जापान को जीतने के लिए एक भारी सेना आ जाए और उसके सेनापति बुद्ध अथवा कन्फ्यूशियस ही हों तो उस समय तुम क्या करोगे?”

स्वामी जी की बात पर वह गुस्से में भरकर खड़ा हो गया, उसकी भुजाएं फड़क उठीं। उसने अपनी आंखों से घूरते हुए जोश के साथ कहा- “तब मैं अपनी तलवार से बुद्ध का सिर काट दूंगा और कन्फ्यूशियस को कुचल दूंगा।”
छात्र का जोशीला उत्तर सुनकर स्वामी जी गद्गद् हो गए। उन्होंने उस वीर विद्यार्थी को प्यार से अपनी बांहों में भर लिया और उनके मुंह से निकल पड़ा- “शाबाश! वाह! जिस देश के बच्चे ऐसे देश-भक्त हो, वह देश कभी किसी का गुलाम नहीं हो सकता और उसकी उन्नति को कोई नहीं रोक सकता।”
